Sunday, November 14, 2021

विनम्रता एवं शीलता

जब किसी को धन, प्रतिष्ठा, और शक्ति मिलने लगती है तो अक़सर विनम्रता और शीलता साथ छोड़ने लगती हैं।
धन, प्रतिष्ठा, और शक्ति वो चीजें हैं जो किसी को भी आसानी से भ्रष्ट कर देती हैं 

जब लोगों पर प्रभाव और नियंत्रण बढ़ जाता है, तो विनम्रता और शीलता से उसका नाता छूट जाता है।
क्योंकि धन और शक्ति के बढ़ने के साथ साथ अभिमान और अहंकार भी बढ़ने लगता है।
अहंकार के बढ़ने से नापसंदगी, क्रोध और घृणा की भावनाएं बढ़ने लगती हैं - जिसके फल स्वरुप लोगों के बीच दूरियाँ पैदा हो जाती हैं।
यह विनम्रता ही है - जो लोगों को एक दूसरे के करीब लाती है।

जो लोग अच्छे नेता एवं और प्रभावशाली उपदेशक बनना चाहते हैं- उन्हें अपनी बोली और किरदार में हलीमी - अपनी भाषा और कर्म में विनम्रता का गुण विकसित करना चाहिए। हृदय में भी विनम्रता होनी चाहिए।

लेकिन यदि यह गुण वास्तव में हृदय में मौजूद नहीं हों तो केवल वाणी में विनम्रता लाने से ही लोगों पर दीर्घकालिक - लम्बे समय तक प्रभाव नहीं रह सकेगा।
क्योंकि वक्तव्य और भाषण केवल जीभ से कानों तक जाते हैं ।
यह सिर्फ विनम्रता - पवित्रता, ईमानदारी और सच्चाई ही है जो एक हृदय से चल कर दूसरे हृदय तक पहुँचती है।
                                                                  ' राजन सचदेव '

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सुख तो सुबह की तरह होता है  मांगने से नहीं --  जागने पर मिलता है     ~~~~~~~~~~~~~~~ Happiness is like the morning  It comes by awakening --...