Thursday, November 11, 2021

ताजमहल - दो अलग दृष्टिकोण

लोग हर चीज़ और हर इक घटना को अपने अपने दृष्टिकोण से देखते हैं - और हर एक का दृष्टिकोण अलग हो सकता है। 
सब की प्रवृत्ति अलग हो सकती है।
हम हर चीज को अपने नज़रिये और धारणा के अनुसार देखते हैं -
और हमारे विचार और धारणाएं हमारे अर्जित ज्ञान और पिछले अनुभवों पर आधारित होते हैं।

वर्तमान समय के दो महान शायर - शकील बदायुनी और साहिर लुधियानवी ने ताजमहल पर पूरी तरह से अलग विचार व्यक्त किए हैं।
शकील बदायुनी ताजमहल की सुंदरता के साथ-साथ इसके बनाने वाले की भी  प्रशंसा करते हैं।
लेकिन साहिर लुधियानवी इस स्मारक को आम आदमी के लिए एक अपमानजनक मज़ाक़ के रुप में देखते हैं।

शक़ील बदायुनी कहते हैं कि :
                       इक शहंशाह ने बनवा के हसीं  ताजमहल
                      सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है


और 
साहिर लुधियानवी लिखते हैं ......
                            इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
                           हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़


स्मारक अथवा इमारत तो एक ही है - लेकिन दोनों ने इसे अलग-अलग ढंग से देखा।

शकील इसे प्रेम के एक सुंदर-भव्य स्मारक के रुप में देखते हैं। 

और साहिर सोचते हैं कि एक सम्राट ने अपने धन और शक्ति का उपयोग करके साधारण जनता के साथ उपहास किया है - ग़रीबों के प्यार का मजाक उड़ाया है - उन्हें अपमानित किया है। 

साहिर व्यावहारिक और यथार्थवादी कवि थे। वे महज़ सपने नहीं देखते थे।
उनकी अंतर्दृष्टि और रचनात्मकता ने 
कविता की चरम सीमा और ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन उनके पाँव हमेशा जमीन पर रहे। 
उन्होंने हर चीज़ - हर घटना को एक साधारण आदमी की दृष्टि से - एक आम आदमी के नज़रिए से देखा।

उन्होंने समाज के गरीब और शोषित लोगों के लिए आवाज़ उठाई - उनके लिए लिखा और उन की आवाज बनने की कोशिश की। 
उनकी अधिकांश गैर-फिल्मी ग़ज़लें, नज़्में और कविताएं ग़रीब किसानों, खेतों, सड़कों और कारखानों में काम करने वाले मज़दूरों और गरीब युवा महिलाओं के दर्द और पीड़ा का जीवंत चित्रण पेश करती हैं। कैसे अमीर और शक्तिशाली लोग उनका शोषण करते हैं - किस तरह शासक और लीडर उनकी ग़रीबी तथा दुर्बलता का - उनकी कमज़ोर स्थिति का दुरुपयोग करके उनका नाजायज़ फायदा उठाते हैं

कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने ताजमहल को भी एक वैभव शाली बादशाह के धन, वैभव और शक्ति के प्रदर्शन और विज्ञापन के रुप में देखा - जिसे शायद उसने आम लोगों की आँखों में चकाकौंध और दिलों में अपनी शक्ति का ख़ौफ़ पैदा करने के लिए बनवाया था । क्योंकि मुमताज महल की मृत्यु के कुछ देर बाद ही शाहजहां ने मुमताज की छोटी बहन से शादी कर ली थी।  

साहिर ताजमहल को शकील की तरह मोहब्बत का नहीं बल्कि वैभव और शक्ति के प्रदर्शन का प्रतीक मानते हैं। 

मेरे ख़्याल में इस विषय पर अधिकाँश लोगों के विचार भी अलग अलग हो सकते हैं।

सिर्फ ताजमहल के बारे में ही नहीं - बल्कि हर उस चीज के बारे में जो हम देखते, पढ़ते या सुनते हैं - हम सबके विचार अलग हो सकते हैं।
यह हमारे अपने दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
और हमारा दृष्टिकोण हमारे अर्जित ज्ञान और पिछले अनुभवों पर निर्भर करता है।
                                                     ' राजन सचदेव '

3 comments:

  1. nazariya nazare ko badal deta hai
    for one person sunset is a wounderful scene but for the other person its a bad omen

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कहने को तो ये दुनिया अपनों का मेला है पर ध्यान से देखोगे तो हर कोई अकेला है      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Kehnay ko to ye duniya apnon ka mela hai...