Monday, May 30, 2022

प्रीतम छबि नैनन बसी

                   प्रीतम छबि नैनन बसी, पर-छबि कहां समाय।
                  भरी सराय ‘रहीम’ लखि, पथिक आप फिर जाय॥

                                                     ~  अब्दुल रहीम  खानखाना  ~ 

शब्दार्थ : 
जिन आँखों में प्रियतम की सुन्दर छवि बसी हो -
वहां किसी दूसरी छवि को कैसे जगह मिल सकती है? 
भरी हुई सराय को देखकर पथिक स्वयं ही वहां से लौट जाता है। 

भावार्थ :
जिसने अपने मन-मन्दिर में प्रभु को पूरी तरह बसा लिया
वहां से मोहिनी माया अपने रहने की जगह न पाकर उल्टे पांव लौट जाती है।

अर्थात जिस के मन में प्रभु बसे हैं - 
जिस का मन प्रभु प्रेम से भरा है - 
उस के मन में तो संसार की मोह-माया के लिए कोई जगह ही नहीं बचती। 

8 comments:

  1. Beautiful lines

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  2. Bahoot hee khoobsurat ji.🙏

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  3. BAHUT HI SUNDER BLOCG MERE SAHIBJI

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  4. खूबसुरत ❤

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  5. पर फिर भी मोह माया पीछा नही छोड़ती. पर यह ईश्वर हमेशा साथ देता है और बचाये रखता है. और आप जैसे संतो का संग तार देता है, दृढता बनाये रखता है. 🙏🙏🙏🙏

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  6. Beautiful couplet with deep spiritual connotations
    Priyal

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