अपने अंदर झांकें कौन ?
ढूंढ़ रहे हैं सब में कमियां
अपने मन को जांचे कौन?
सब कहते हैं दुनियाँ सुधरे
खुद को मगर सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
अपने कर्म विचारे कौन ?
हम सुधरें - तो जग सुधरेगा
लेकिन ये स्वीकारे कौन?
कल जो शहर में करता था सांप के काटे का इलाज आज उसी के तहखाने से सांपों के ठिकाने निकले " अज्ञात लेखक " ...
Jai Gurudev 👏🙏🏾👏! Atishaya Sunder 👏🙏🏾👏
ReplyDeleteSaari duniya sudhar jayegi apna agar sudhar je kariye
ReplyDeleteExcellent Sir 🙏🏿
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