Thursday, May 19, 2022

प्रतिशोध - बदला

अगर हम हमेशा अपने दुश्मनों और प्रतिद्वंदियों के बारे में सोचते रहेंगे 
तो धीरे धीरे - जाने या अनजाने में हम भी उनके जैसे ही बन जाएंगे। 
जितनी ज़्यादा हम उनसे नफरत करेंगे - 
उतनी ही हम अपने मन की शांति खो देंगे। 
हम हमेशा बेचैन और चिंतित रहने लगेंगे। 

यदि हम अपने दुश्मनों और प्रतिद्वंदियों के बारे में सोचना बंद कर दें 
तो धीरे-धीरे हमारे मन से दुश्मनी और नफरत की भावना दूर हो जाएगी। 
हमारा मन शांत और स्थिर रहेगा।
हम हमेशा शांत और प्रसन्नचित रहने लगेंगे।   
और हमारे दुश्मन अथवा प्रतिद्वंदी निश्चित रुप से - कदापि ऐसा नहीं चाहेंगे। 

हमें शांत, प्रफुल्लित और प्रसन्नचित देखकर वे और अधिक बेचैन हो जाएंगे।
उनकी चिंता और उद्विग्नता और बढ़ जाएगी। 
वो हमेशा परेशान ही रहेंगे। 
ज़रा सोचिए -  दुश्मनों और प्रतिद्वंदियों से बदला लेने का ये एक अच्छा ढंग नहीं है क्या? 
                                                       ' राजन सचदेव '

2 comments:

  1. बिल्कुल सही ढंग है जी

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  2. Sabka bhala karo bhagwan sabka sab bidhi ho Kalyan

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