Tuesday, May 24, 2022

आस्मानों से मेरी जान, उतर




मान जा अब भी दिल में आन उतर
आस्मानों से मेरी जान - उतर

मेरी पलकें हैं मुंतज़िर कब से 
तू कभी ज़ेरे -सायबान उतर 

मैं ज़मीं हूँ तो एक दिन तू ही 
मेहरबां हो के आस्मान, उतर 

जीत लेना ही तो नहीं सब कुछ 
बस यही आज दिल में ठान उतर 

जूँ समंदर पे शाम झुकती है 
यूँ कभी दिल पे मेहरबान उतर 

ज़ात गहराई है सराबों की 
जाने-शहज़ाद बे-तकान उतर 
               " फ़रहत शहज़ाद "

सराब  = मृग तृष्णा   Mirage 
बे-तकान   = बिना हिचकिचाहट,  बे-थकान  
               Without hesitation, Without tiredness, lethargy, or lassitude 

No comments:

Post a Comment

Discussion vs Argument चर्चा बनाम बहस

Discussion - is an exchange of    Thoughts & Knowledge            Promote it. Argument - is an exchange of   Ego & Ignorance        ...