Friday, December 21, 2018

दिल बेग़ाना ए तरग़ीबो तमन्ना न हो सका

साहिर लुधयानवी साहिब की एक नज़्म है:
                        " सोचता हूँ कि मोहब्बत से किनारा कर लूँ 
                          दिल को बेगाना -ए -तरग़ीबो -तमन्ना कर लूँ "

मैंने भी ऐसा करने की सोची  .... 
और बहुत कोशिश भी की .......  मगर नाकाम रहा
आज सुबह से मन में कुछ ऐसे ही विचार उठ रहे थे 
तो अपने ख़्याल - अपने मन के भाव इस नज़्म में बाँधने की कोशिश की:-

दिल बेग़ाना-ए-तरग़ीबो-तमन्ना न हो सका 
लाख चाहा पर दुनिया से किनारा न हो सका 

मैंने सोचा - पूरे हो चुके अरमान सब  

कर लिए  इकट्ठे जीने के सामान सब 
अब न ज़िंदगी में रहेगा कोई फ़िक़र 
हो चुके हैं अब तो मरहले आसान सब 

सोचा - दिल में अब कोई हसरत नहीं रही 

अब किसी भी शै की ज़रुरत नहीं रही 
आज़ाद हो चुका है दिल हसद की क़ैद से 
अब तो  किसी से कोई नफ़रत नहीं रही

सोचा - अब न रखेंगे किसी से कोई उम्मीद 
अब न होगी ख़्वाहिशों की कोई नई तम्हीद  
 पहले जो होता रहा - नासमझी थी मगर 
अब न होगी फिर कभी उन बातों की तजदीद

सोचा - कि मंज़िल पे अब तो आ चुका हूँ मैं  

कि  माया जाल से तो  दूर   जा  चुका हूँ मैं  
अब तो कुछ भी करने को बाकी नहीं रहा 
वल्लाह 'अब तो मारफ़त को पा चुका हूँ मैं  

                          लेकिन - अब जाना कि ये तो वहम था मेरा 

                          आज समझ आया कि दिल नाफ़हम था मेरा 
                          आ गया मंज़िल पे - मारफ़त को पा लिया 
                          ऐसी बातें कहना -  महज अहम था मेरा 

रोज़  उठती  है नई हसरत  कोई दिल में 

जलती रहती है हसद की आग भी दिल में 
यकसाँ मोहब्बत सभी से  हो नहीं  पाई
बाकी हैं उम्मीदें  - रंजिशें  अभी दिल में    

                  जब कोई मंज़र नया आया नज़र के सामने  
                 तो दिल को बांधने का कोई चारा न हो सका  

                 लाख चाहा पर दुनिया से किनारा न हो सका 
                 दिल बेग़ाना - ए - तरग़ीबो तमन्ना न हो सका 
                                       ' राजन सचदेव '


बेग़ाना-ए-तरग़ीबो-तमन्ना.....आशा तृष्णा से परे  Free of hopes & desires
मरहले   ........                      मुसीबतें               Difficulties
हसद .......                           ईर्ष्या Envy,        Jealousy
तम्हीद ........                        प्रारंभ, शुरुआत   New beginning
तजदीद - ........                    पुनरावृति             Repetition

नाफ़हम   .......                     विवेकहीन            Ignorant
मारफ़त ........                      आध्यात्म ज्ञान        Secret knowledge, Knowledge of Truth
यकसाँ ........                        एक जैसी               Same, Similar, Equal

मंज़र   ........                         दृश्य                     Scene, Scenario, View, Synopsis  


1 comment:

It's easy to find fault in others

It is easy to find fault in others - The real test of wisdom is recognizing our own faults.  Criticizing and condemning others is not hard. ...