Monday, December 3, 2018

दोस्त बन के लोग दग़ा देते रहे

दोस्त बन के लोग दग़ा देते रहे
फिर भी हम उनको दुआ देते रहे

उसने तो मुड़ के भी फिर देखा नहीं
हम मगर उसको सदा देते रहे

ऐसे भी कुछ लोग हमने देखे हैं
जो लगा के आग हवा देते रहे

पहले जो इन रास्तों से गुज़रे हैं
मंज़िलों का वो पता देते रहे

ज़ुर्म क्या था ये उन्हें भी याद नहीं
उम्र भर लेकिन सज़ा देते रहे

उनका भी एहसान मुझ पे है कि जो
हर क़दम पे हौसला देते रहे

उन की हिम्मत देखिये 'राजन 'ज़रा
ज़ख़्म खा के जो दुआ देते रहे 


               'राजन सचदेव '



(दिल के अरमान आँसुओं में बह गए )

1 comment:

Na vo vaqt raha na main (Neither that time nor I...)

           Na vo shauq rahay - Na vo zid rahi             Na vo vaqt raha - Na vo main raha                            ~~~~~~~~~~~~~ Neither...