Saturday, December 8, 2018

चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं

चार दिन के  सब यहाँ मेहमान हैं 
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं  

है नहीं कल का भरोसा भी मगर 

सौ बरस का चाहते सामान हैं

तैरते रहते  हैं लहरों पे ही जो 

गहराईयों के भेद से अनजान हैं 

दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास 

जान  लेना कि  वही सुल्तान  हैं 

करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान  हैं     

दूसरों को तो  समझते कुछ नहीं 

ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं 

कहते थे जो हम से दुनिया चलती है 

उनकी लाशों से भरे शमशान  हैं 

जान दे  देते  हैं औरों  के  लिए 
देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं 

दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल  'राजन ' वही इन्सान हैं  

          ' राजन सचदेव '



3 comments:


  1. Saturday, December 8, 2018
    चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
    चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
    दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं

    है नहीं कल का भरोसा भी मगर
    सौ बरस का चाहते सामान हैं

    तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
    गहराईयों के भेद से अनजान हैं

    दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
    जान लेना कि वही सुल्तान हैं

    करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
    ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं

    दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
    ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं

    कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
    उनकी लाशों से भरे शमशान हैं

    जान दे देते हैं औरों के लिए
    देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं

    दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
    दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं

    ' राजन सचदेव '

    ReplyDelete

  2. Saturday, December 8, 2018
    चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
    चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
    दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं

    है नहीं कल का भरोसा भी मगर
    सौ बरस का चाहते सामान हैं

    तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
    गहराईयों के भेद से अनजान हैं

    दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
    जान लेना कि वही सुल्तान हैं

    करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
    ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं

    दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
    ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं

    कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
    उनकी लाशों से भरे शमशान हैं

    जान दे देते हैं औरों के लिए
    देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं

    दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
    दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं

    ' राजन सचदेव '
    औरों को 'तू ' खुद को जो कहते 'आप 'हैं ,
    वो ही ये श्रीभगवान केजर आप हैं।
    veerujialami.blogspot.com
    veeruvageesh.blogspot.com
    vageeshnand.blogspot.com
    veerubhai1947.blogspot.com

    ReplyDelete

Itnay Betaab kyon hain - Why so much restlessness?

 Itnay betaab - itnay beqaraar kyon hain  Log z aroorat say zyaada hoshyaar  kyon hain  Moonh pay to sabhi dost hain lekin Peeth peechhay d...