Friday, July 14, 2023

याद आता है मुझे रेत का घर बारिश में

याद आता है मुझे रेत का घर बारिश में
में अकेली थी सर-ए-राहगुज़र बारिश में

वो अजब शख़्स था हर हाल में ख़ुश रहता था
उस ने ता-उम्र किया हँस के सफ़र बारिश में

तुम ने पूछा भी तो किस मोड़ पे आ कर पूछा
कैसे उजड़ा था चहकता हुआ घर बारिश में

इक दिया जलता है कितनी भी चले तेज़ हवा
टूट जाते हैं  कई एक शजर  बारिश में

आँखें बोझल हैं तबीअ'त भी है कुछ अफ़्सुर्दा
कैसी अलसाई सी लगती है सहर बारिश में
                             " साहिबा शहरयार "

ता-उम्र =   सारी  उम्र - आयु पर्यन्त 
शजर    = पेड़, दरख़्त 
अफ़्सुर्दा  = उदास 
सहर      =  सुबह 

3 comments:

  1. वह बारिश का पानी रेत पर घर बनाना... सब याद रहता है ताउम्र 🌺

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