ज़िंदगी है तो ख़िज़ां के दिन गुज़र ही जाएँगे
वक़्त के हाथों ये दिल के ज़ख्म भर ही जाएंगे
जिस जगह दीपक जलेगा जिस तरफ हो रौशनी
बात ये तय है कि परवाने उधर ही जाएंगे
एक है अपनी ज़मीं और एक ही है आसमां
बात ये गर सब न समझे तो बिखर ही जाएंगे
चलते चलते राह में गर पाँव यारो थक गए
रास्ते के साथ फिर हम भी ठहर ही जाएँगे
गर कभी मुश्किल पड़ेगी राह चुनने में हमें
जिस तरफ तेरा इशारा हो उधर ही जाएंगे
लाख तुम रोको - गिनाओ लाख इसके ऐब पर
आए हैं दुनिया में तो कुछ देख कर ही जाएंगे
उनके दर पे तो रसाई हो न पाएगी कभी
अपने दर्दो-ग़म के नाले बेअसर ही जाएंगे
उस नगर की तंग सी तारीक़ गलियों में अगर
रास्तों से बेख़बर होंगे तो डर ही जाएंगे
मौत का डर क्यों रहेगा फिर उन्हें 'राजन भला
जानते हैं जो कि आख़िर अपने घर ही जाएंगे
" राजन सचदेव "
रसाई = पहुँच - असर, रसूख, Access - Approach
तारीक़ = अँधेरी Dark
So powerful message but simplified by your wisdom 🙏🙏
ReplyDeleteWah wah bhaut khoob 🙏🏿
ReplyDeleteEk ek shabd anmol hai ji
ReplyDelete👌
ReplyDeleteVery Nice 🙏🙏
ReplyDeleteयकीनन राजन आना - जाना भी देह तल पर। दो तो हैं ही नहीं, एक ही है बस यही एकत्व बना रहे। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति जी। आइए मिलकर इस अमन प्रीत की अमिट महक को सृष्टि में फैलाएं 🌺🤗🎉
ReplyDeleteWah wah bahut khoob ji🌹🌹🌹👌👌👌
ReplyDelete🙏👍👍🙏🌷very nice
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteAbsolutely true ji🙏🙏
ReplyDeleteExcellent ji. Bahut hee uttam massage. 🙏
ReplyDeleteBeautifully worded Rajanjee.दिल को छू गई।
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteBahut khoob ji
ReplyDelete