Tuesday, July 18, 2023

रेस्टोरेंट में मुफ़्त खाना

एक रेस्टोरेंट में एक व्यक्ति रोज़ आता था और खाना खाने के बाद भीड़ का लाभ उठाकर चुपके से बिना पैसे दिए निकल जाता था। 
एक दिन जब वह खाना खा रहा था तो एक अन्य ग्राहक ने चुपके से आकर दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – 
कोई बात नहीं - अगर वो बिना पैसे दिए निकल जाए तो उसे जाने देना।
हम बाद में बात करेंगे। 
हमेशा की तरह भाई ने खाना खाने के बाद इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप बाहर निकल गया। 
उसके जाने के बाद, उस सज्जन ने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि आपने उस व्यक्ति को बिना रोके - बिना कुछ कहे क्यों जाने दिया?

मालिक ने जवाब दिया कि आप अकेले ही नहीं हो - कई लोगों ने उसे ऐसा करते हुए देखा है और मुझे उसके बारे में बताया भी है। 
मैं रोज़ देखता हूँ कि वह रेस्टोरेंट के सामने बैठा रहता है और जब देखता है कि रेस्टोरेंट में काफी भीड़ हो गई है - 
तो वह आकर खाना खा कर चुपके से बाहर निकल जाता है। 
मैंने हमेशा ये देख कर नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं - 
उसे कभी पकड़ा नहीं और न ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की। 
जानते हो क्यों?
क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि मेरी दुकान में इतनी भीड़ शायद इस भाई की वजह से ही होती है। 
वह रोज़ मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है - कि जल्दी से इस रेस्टोरेंट में इतनी भीड़ हो जाए कि वो चुपके से अंदर आए - 
खाना खा कर चुपके से बाहर निकल जाए - और किसी को पता न चले। 
और मैंने देखा है कि जब से ये आदमी मेरे रेस्टोरेंट के सामने आकर बैठने लगा है - मेरे रेस्टोरेंट में हमेशा भीड़ रहने लगी है। 
मैं ये समझता हूँ कि ये भीड़ उसकी वजह से ही है - उसकी प्रार्थना के कारण ही है। 
इसलिए मैं उसे रोकता नहीं - कुछ कहता नहीं। 
बल्कि अपने दिल में उसका धन्यवाद करता हूँ और आशा करता हूँ कि वो रोज़ इसी तरह आता रहे। 

कई बार हम सोचते हैं - घमंड करते हैं कि हम किसी को खिला रहे हैं।  
लेकिन हो सकता है कि वास्तव में हम ही उस के भाग्य के कारण खा रहे हों!

4 comments:

  1. Beautiful thoughts. Thanks for sharing Rajan ji

    ReplyDelete
  2. Very true Hazoor. Ignorance leads to arrogance. Thanks.

    ReplyDelete
  3. वाह। कितनी उम्दा सोच।

    ReplyDelete

Jab tak saans chalti hai - As long as the breath continues

      Uthaana khud hee padta hai thakaa toota badan 'Fakhri'       Ki jab tak saans chalti hai koi kandhaa nahin detaa              ...