Friday, July 28, 2023

वो सामने होते हैं तो खुलती नहीं ज़ुबां

हाल अपने दिल का हम कैसे करें बयां
वो सामने होते हैं तो खुलती नहीं ज़ुबां 

फिर ये ख्याल भी मगर आता है ज़ेहन में
बिन कहे ही जानते हैं सब वो मेहरबां

बस यही ख्वाहिश है 'राजन ये ही इल्तेज़ा
इस एक से जुड़ा रहे साँसों का कारवां
                           ~~~~
पर एक बात सोचने की ये भी है 'राजन
इस एक को हम छोड़ के जाएंगे भी कहां?
                 " राजन सचदेव "

8 comments:

  1. 🙏Excellent. Bahut hee sunder aur Shikshadayak rachna ji. 🙏

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  2. Wah wah bahut sunder ji🙏🙏🙏🙏👌👌👌

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  3. Bahut khoob farmaya Professor Sahib....irshaad !!!

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  4. Excellent thought

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  5. Very nice ji santo ji

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  6. Beautiful and complete

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