हाल अपने दिल का हम कैसे करें बयां
वो सामने होते हैं तो खुलती नहीं ज़ुबां
फिर ये ख्याल भी मगर आता है ज़ेहन में
बिन कहे ही जानते हैं सब वो मेहरबां
बस यही ख्वाहिश है 'राजन ये ही इल्तेज़ा
इस एक से जुड़ा रहे साँसों का कारवां
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पर एक बात सोचने की ये भी है 'राजन
इस एक को हम छोड़ के जाएंगे भी कहां?
" राजन सचदेव "
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🙏Excellent. Bahut hee sunder aur Shikshadayak rachna ji. 🙏
ReplyDeleteWah wah bahut sunder ji🙏🙏🙏🙏👌👌👌
ReplyDeleteBahut khoob farmaya Professor Sahib....irshaad !!!
ReplyDeleteExcellent thought
ReplyDeleteVery nice ji santo ji
ReplyDeleteBeautiful and complete
ReplyDeleteAwesome!
ReplyDeleteBeautiful🙏
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