(शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा)
मालकिन ने बाहर आकर पुछा "क्या है ?
बालक - "आंटी जी - मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं?
मालकिन - नहीं, हमें नहीं करवाना..
बालक - हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में..
"प्लीज आंटी जी - करा लीजिये न, बहुत अच्छे से साफ करूंगा।
मालकिन - द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा?
बालक - पैसा नहीं आंटी जी, - बस खाना दे देना..
मालकिन- ठीक है !! आ जाओ अच्छे से काम करना....
(लगता है बेचारा भूखा है पहले खाना दे देती हूँ.. मालकिन बुदबुदायी)
मालकिन- ऐ लड़के.. पहले खाना खा ले, फिर काम करना...
बालक - नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना...
मालकिन - ठीक है ! कहकर अपने काम में लग गयी..
बालक - एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं...
मालकिन -अरे वाह ! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए.. यहां बैठ, मैं खाना लाती हूँ..
जैसे ही मालकिन ने उसे खाना दिया.. बालक जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना रखने लगा..
मालकिन - भूखे काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठकर खा ले.. और चाहिए तो और दे दूंगी।
बालक - नहीं आंटी जी - मेरी बीमार माँ घर पर है..
सरकारी अस्पताल से दवा तो मिल गयी है, पर डाॅ साहब ने कहा है दवा खाली पेट नहीं खानी है..
मालकिन रो पड़ी.. फिर प्यार से झिड़कते हुए बोली -
चल इधर बैठ। पहले तू खा - फिर माँ के लिए भी ले जाना।
और अपने हाथों से उस मासूम को उसकी माँ बनकर खाना खिलाया..
फिर उसकी माँ के लिए रोटियां बनाई..
और साथ उसके घर जाकर उसकी माँ को रोटियां दे आयी....
और कह आयी -
"बहन जी - आप तो बहुत अमीर हो..
जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है वो हम अपने बच्चों को नहीं दे पाए "
बहुत नसीब वालों क़ो ऐसी औलाद मिलती है।
और धन से अमीर होते हुए भी जिनके दिल में ऐसी करुणा - प्रेम और दया के भाव होते हैं -
वास्तव में वो लोग ही असली अमीर होते हैं।
😰😰😰
ReplyDeletebahut hi dil ko chhoone bali baat
Bahut sunder and touching. Made me emotional. Thanks for sharing. 🙏🙏
ReplyDeleteHeart touching
ReplyDeleteVery heart touching story uncle ji
ReplyDeleteVery heart tuching
ReplyDeleteAti Sundar
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏👣👣👣👣💗💗💗💗
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