Saturday, April 22, 2023

सीमित और संकीर्ण सोच

आगे बढ़ने और शुभ कर्म करने के लिए ऊंची सोच का होना ज़रुरी है।

सीमित और संकीर्ण सोच हमें जीवन के हर क्षेत्र में सीमित कर देती है और हमें ऊपर उठने नहीं देती।
संकीर्ण सोच वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
वे न तो अपना भला कर सकते हैं और न ही किसी और का।
आगे बढ़ने और ऊपर उठने के लिए ये ज़रुरी है कि हमारी सोच ऊँची और विशाल हो - 
ऐसी सोच, जो तर्क और व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हो।

ज्ञान और व्यक्तिगत अनुभव ही हमारी सोच और विचार का आधार होता है।
उच्च विचार - उच्च ज्ञान से आते हैं।
ज्ञान उच्च होगा तो विचार भी उत्तम होंगे।
यहां यह भी विचारणीय है कि दूसरों के ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरणा तो मिल सकती है
लेकिन जब तक वह हमारा अपना अनुभव नहीं बन जाता
तब तक हमें व्यक्तिगत रुप से कोई लाभ नहीं हो सकता।
सोच ऊँची होगी - व्यापक होगी तभी हम दूरदर्शिता, समानता और समन्वयता के साथ सोच पाएंगे - अन्यथा नहीं।
                                                  ' राजन सचदेव '

3 comments:

Course of Karma cannot be Averted - Avashyamev Bhoktavyam Kritam Karma

AvashyaMeva Bhoktavyam Kritam Karma Shubhaashubham Na Bhuktam Kshiyate Karma Janma Koti Shatairapi                                       Shi...