Tuesday, February 22, 2022

हर इंसान अपने ढंग से सोचता है

एक महफ़िल में एक शायर ने शेर पढ़ा  - कि  

            ज़िंदा रहना है तो शौक़ भी ज़िंदा रखिए 
            जिस्म का क्या है मन उड़ता परिंदा रखिए 

बहुत लोगों ने इसे पसंद किया - 
कुछ ने कहा कि ये बात तो सही है कि अगर जीवन में कोई शौक़ - कोई ख़ुशी ही  नहीं तो जीवन बेकार है। 

तभी एक दूसरा शायर उठा और उसने भी एक रुबाई पढ़ी -

                 हुस्न ढल गया मगर ग़ुरुर अभी बाकी है 
                नशा तो उतर गया सुरुर अभी बाकी है 
                जवानी ने दस्तक दी और आ कर चली गई 
                ज़ेहन में मगर वही फ़ुतूर अभी बाकी है 

लोगों ने उसकी भी बहुत तारीफ़ की 
उन्हें लगा कि इसकी बात भी ठीक है 
आख़िर उम्र और वक़्त के साथ साथ इंसान के शौक़ और मन के विचार भी बदलने ही चाहिएं।  

लेकिन महफ़िल से जाने के बाद - लोगों ने वही बात याद रखी 
उसी बात को अपना आदर्श बनाया जो उनकी अपनी पसंद थी। 
किसी ने सोचा कि अगर शौक़ ही मर गए तो जीने का क्या फ़ायदा?
इसलिए जीवन का आनंद लो। 

और कुछ ने सोचा - अब तो वक़्त बीत गया।  
जवानी गई बुढ़ापा आ गया  
अब कहीं जाना नहीं - कुछ करना नहीं 
ख़ामोश  बैठ कर  - निष्क्रिय और अकर्मण्य हो कर बाकी जीवन गुज़ार लें। 

अंततः - हर इंसान वही बात मानता और अपनाता है जो उसे स्वयं अच्छी लगती है।
                                       ' राजन सचदेव ' 

4 comments:

  1. Exactly 💯 No body can influence anyone because everyone knows his benefits

    Dhandvat Dhan nirankar uncle ji

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  2. APNE SHAUK JINDA RKHIYE ..KYON K JINDGI JINDA DILI KA NAM H ..MURDA DIL KYA KHAK JEETE HAIN

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