Thursday, February 10, 2022

है कोई भूला मन समझावै

है कोई भूला मन समझावै। 
एह मन चंचल चोर पाहरु छूटा हाथ ना आवै ।।

जोड़ जोड़ धन ओड़े घोड़े वहां कोई लैन न पावै ।
कंठ कपाल आन यम घेरे - दे दे सैन बतावै ।।

खोटा दाम गाँठ लिए दौड़त बड़ी बड़ी वस्तु मनावै 
बोए बबूल दाख फल चाहत सो फल कैसे पावै।।

हरि की कृपा साधु की संगत एह दोय मत बिसरावै। 
कहत कबीर सुनो भई साधो बहुरि न भवजल आवै ।।
                                   सद्गुरु कबीर जी 

पाहरु      =  पहरेदार 

1 comment:

Discussion vs Argument चर्चा बनाम बहस

Discussion - is an exchange of    Thoughts & Knowledge            Promote it. Argument - is an exchange of   Ego & Ignorance        ...