Wednesday, February 2, 2022

यक ज़माना सोहबत-ए-बा औलिया

               यक ज़माना सोहबत-ए-बा औलिया 
              बेहतर अज़ सद साला ता'अत बेरिआ 
                                                          " हज़रत रुमी "
 یک زمانہ صحبت -ے- با -اولیا 
بہتر از صد سلا طاعت بے ریا 
            مولانا  رومی 

अर्थात - सौ साल अकेले बैठ कर बंदगी करने की जगह  
एक औलिया के साथ बिताया हुआ थोड़ा सा वक़्त भी ज़्यादा अच्छा है। 

क्योंकि औलिया यानि किसी जानने वाले के साथ मिल कर - उसके पास बैठ कर जो हम सीख सकते हैं वो सौ साल अकेले बैठ कर कोशिश करने पर भी शायद न मिल पाए। 
ये बात हर विषय - हर मज़मून और ज़िंदगी के हर अदारे पर लागु होती है। 
किसी भी तरह का ज्ञान किसी ज्ञानी - किसी जानने वाले गुरु से मिल कर जल्दी और आसानी से प्राप्त हो सकता है। 

नोट: फ़ारसी का ये शेर हज़रत रुमी के नाम से मशहूर है लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि ये रुमी के गुरु -पीर - हज़रत शम्स तबरेज़ी ने लिखा है।  

2 comments:

  1. Beautiful thoughts in 2 lines by Hazrat Rumi ji.. Thanks Rajan jee for sharing 🙏🙏

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Na jaanay dil mein kyon sabar-o-shukar ab tak nahin aaya Mujhay khamosh rehnay ka hunar ab tak nahin aaya Sunay bhee hain, sunaaye bhee hain...