Thursday, July 1, 2021

दुनिया ने अजब रंग जमा रखा है

दुनिया ने अजब रंग जमा रखा है
हर इक को ग़ुलाम अपना बना रखा है
फिर लुत्फ़ ये है कि जिससे पूछो वो कहे
इस आलमे-आबो-गिल में क्या रखा है
               ~ तिलोक चंद ' महरुम ' ~ 

आलम - दुनिया
आब - पानी
गिल - मिट्टी
आलमे-आबो-गिल = मिट्टी और पानी की दुनिया

अजीब हैं इस दुनिया के रंग और तौर तरीके
ऐसी पकड़ है इसकी - कि सब इसके गुलाम हो जाते हैं
और फिर मज़े की बात ये है कि हर कोई यही कहता है कि इस माटी की दुनिया में क्या रखा है ? 

कितने आश्चर्य की बात है कि यद्यपि हर कोई यही कहता है कि यह संसार एक भ्रम है - अस्थायी, क्षणभंगुर - मिथ्या और अर्थहीन है । 
लेकिन फिर भी, हर इंसान केवल धन कमाने के लिए दौड़ रहा है - अधिक संपत्ति जमा करने के लिए - कोई पद प्रतिष्ठा और अधिक शक्ति प्राप्त करने के लिए।
बेशक बात तो सभी अध्यात्मवाद की करते हैं लेकिन लगता है कि वास्तव में अधिकांश लोग भौतिकवादी दुनिया के ही गुलाम हैं। 

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It's easy to find fault in others

It is easy to find fault in others - The real test of wisdom is recognizing our own faults.  Criticizing and condemning others is not hard. ...