लोगों और वस्तुओं के बारे में लिए गए हमारे निर्णय हमारी अपनी राय और धारणाओं पर आधारित होते हैं।
हमारी धारणाऐं हमारी दृष्टि के अनुसार बनती है - जिस ढंग - जिस दृष्टिकोण से हम लोगों और वस्तुओं को देखते हैं वैसी ही हमारी धारणा उन लोगों और वस्तुओं के बारे में बन जाती है।
और हमारा दृष्टिकोण हमारे पिछले अनुभव और प्राप्त सीमित जानकारी पर आधारित होता है।
जैसे किसी ने बताया कि गिरिधारी लाल ने एक घंटे में दस मील की दूरी तय की।
और बनवारी लाल ने उतनी ही दूरी डेढ़ घंटे में तय की।
अगर पूछा जाए कि दोनों में से कौन तेज और अधिक स्वस्थ है?
ज़ाहिर है कि हमारा जवाब होगा गिरिधारी लाल।
लेकिन, फिर बताया जाए कि गिरिधारी लाल ने यह दूरी Race-course के लिए बनाए गए एक समतल track पर तय की - जबकि बनवारी लाल ने ये सफ़र एक कच्चे और ऊबड़ खाबड़ पथरीले रास्ते पर दौड़कर किया?
तो हमारा जवाब होगा बनवारी लाल ज़्यादा स्वस्थ और तेज़ है।
लेकिन फिर हमें पता चलता है कि गिरिधारी लाल 75 साल के हैं जबकि बनवारी सिर्फ 25 साल के नौजवान हैं तो हमें लगेगा कि गिरिधारी लाल ही ज़्यादा स्वस्थ और तेज़ हैं।
और फिर - अगर हमें बताया जाए कि बनवारी लाल का वजन 140 किलो है, जबकि गिरिधारी लाल का वजन केवल 60 किलो है - तो हमारा जवाब फिर से बदल सकता है।
जैसे जैसे हम गिरिधारी लाल और बनवारी लाल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते जाते हैं - उस नई जानकारी के आधार पर - इस घटना को देखने का हमारा दृष्टिकोण और हमारी धारणा बदल जाती है।
धारणा बदलने के साथ साथ - गिरिधारी लाल और बनवारी लाल में से कौन बेहतर और तेज़ है - इस बारे में हमारी राय और निर्णय भी बदलते रहेंगे।
यही सिद्धांत जीवन के अन्य सभी क्षेत्रों में भी लागू होता है।
अक्सर - सिर्फ़ कुछ सुनी हुई या देखी हुई एकआध घटना के आधार पर ही हम लोगों, वस्तुओं, और घटनाओं के बारे में लापरवाही और जल्दबाजी में अपनी राय बना लेते हैं। लेकिन जब तक हमारे सामने पूरी picture - पूरी तस्वीर न हो तो ये ज़रुरी नहीं कि हमारी कल्पनाएं - धारणाएँ और उनके बारे में लिए हुए निर्णय सही हों। इस तरह न तो हम किसी और के साथ और न ही स्वयं के साथ न्याय कर पाते हैं।
इसलिए किसी के बारे में कोई राय या धारणा बनाने और निर्णय लेने से पहले हमें कुछ और अधिक मान्य और विश्वसनीय जानकारी एकत्र करके पूरी तस्वीर को देखने की कोशिश करनी चाहिए ।
' राजन सचदेव '
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
It's easy to find fault in others
It is easy to find fault in others - The real test of wisdom is recognizing our own faults. Criticizing and condemning others is not hard. ...
-
मध्यकालीन युग के भारत के महान संत कवियों में से एक थे कवि रहीम सैन - जिनकी विचारधारा आज भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनके समय में थी। कव...
-
Kaise bataoon main tumhe Mere liye tum kaun ho Kaise bataoon main tumhe Tum dhadkanon ka geet ho Jeevan ka tum sangeet ho Tum zindagi...
-
बाख़ुदा -अब तो मुझे कोई तमन्ना ही नहीं फिर ये क्या बात है कि दिल कहीं लगता ही नहीं सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आए आँसू दिल का आलम तो अ...
No comments:
Post a Comment