Monday, July 19, 2021

अँधेरे में दीये का प्रकाश

कभी हम अंधेरे में दीया हाथ में लेकर चलते हैं तो हमें यह भ्रम हो जाता है कि हम दीये को लेकर चल रहे हैं और रास्ते का अँधेरा मिटाते जा रहे हैं ।
जबकि सच्चाई एकदम इस से विपरीत है। 
असल में तो दीया हमें लेकर चल रहा होता है।

ऐसे ही, कभी कभी हमारे मन में इस प्रकार के विचार आने लगते हैं कि हम ज्ञानी हैं और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं - आगे बढ़ रहे हैं - तथा औरों को भी मार्ग दिखा रहे हैं ।
लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि ज्ञान हमें सत्य के मार्ग पर लेकर चलता है।

हम ज्ञानी हैं - ये मिथ्या अभिमान है।
ज्ञान - अभिमान का नहीं - प्रेरणा का स्तोत्र होना चाहिए।
                       विद्या ददाति विनयम
ज्ञानी का पहला लक्षण है कि उसमें नम्रता एवं दूसरों के प्रति आदर और सत्कार की भावना होती है।
अभिमान का अर्थ है ज्ञान का न होना।

ज्ञान हमारे जीवन का आधार बने -
हम ज्ञान पर आधारित - नम्रता,सादगी एवं सच्चाई से परिपूर्ण जीवन जीएँ - इस प्रकार की सोच एवं भावना ही प्रेरणास्पद है।
                                       ' राजन सचदेव '

4 comments:

  1. बहुत लाभदायक विचार,thank you Rajan ji

    ReplyDelete
  2. One of the most profound write-ups, wakes you up..thank you

    ReplyDelete
  3. Dhan Nirankar.
    Such thoughts can be given to us only by Guru.
    A very appropriate message on Guru poornima. 🙏🙏🙏we will forever be blessed. 🙏🙏

    ReplyDelete

It's easy to find fault in others

It is easy to find fault in others - The real test of wisdom is recognizing our own faults.  Criticizing and condemning others is not hard. ...