कभी पत्थर की ठोकर से भी आती नहीं खराश
कभी इक ज़रा सी बात से इन्सान बिखर जाता है
Kabhi Pathar Ki Thokar Se Bhi Aati Nahi Kharash
Kabhi Ek Zara Si Baat Se Insaan Bikhar Jata Hai...!
कल जो शहर में करता था सांप के काटे का इलाज आज उसी के तहखाने से सांपों के ठिकाने निकले " अज्ञात लेखक " ...
How True!
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