भगवान से अक़्ल नहीं, विद्वता नहीं -
नसीब माँगो, कृपा मांगो .......
क्योंकि मैंने हमेशा विद्वानों को भाग्यवानो के लिए काम करते देखा है
दिमाग़ वालों को नसीब वालों की नौकरी करते ही देखा है
ज्योतिरात्मनि नान्यत्र (महाभारत शान्तिपर्व 326/32) अर्थ : प्रकाश आपके अपने अंदर है - अन्यत्र नहीं अर्थात बाहर किसी ...
Waaoo......ur words always work for me.just like medicine ��....bless me...
ReplyDeleteGaurav Bhagat