Saturday, April 29, 2023

Roobru un say baat honay lagi (Video)

Roo-ba-Ru un say baat honay lagi

Lyrics: Rajan Sachdeva
Singer: Maghar Ali 
Music by:   Aman Thind 


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Roo-b-Ru un say baat honay lagi
Khoobsurat hayaat honay lagi

Yaad mein un kee din guzarta hai 
Un kay pehalu mein raat honay lagi

Na raha dil mein ranjo-gam koyi
Zindagi ab saugaat honay lagi

Jab say tu Tu ka jaam peeya hai 
Meri main main kee maat honay lagi

Mit gaay farq teray - meray kay
Ek ab apni zaat honay lagi 

Jhuk gayaa sar jo un kay sajde mein
Meharbaan qayanaat honay lagi

Jab tavaqo hee na rahi koyi 
Gam say 'Rajan' nijaat honay lagi
                      "Rajan Sachdeva " 

 Tavaqqo = Expectations

रुबरु उनसे बात होने लगी (Video)

                 रुबरु उन से बात होने लगी
लेखक :  राजन सचदेव
गायक :  मघर अली
संगीत निर्देशन: अमन थिंद 
             ~~~~~~
रुबरु उनसे  बात होने लगी
ख़ूबसूरत हयात होने लगी 

याद में उनकी  दिन गुज़रता है
उनके पहलू में रात होने लगी

न रहा दिल में रंजो-ग़म कोई
ज़िंदगी अब  सौगात होने लगी 

जब से 'तू तू ' का जाम पीया है 
मेरी मैं मैं की मात होने लगी

मिट गए  फ़र्क़  तेरे - मेरे  के
एक अब अपनी ज़ात होने लगी 

झुक गया सर जो उनके सज़दे में
मेहरबां क़ायनात होने लगी 

जब तवक़्क़ो ही न रही कोई           
ग़म से 'राजन ' नजात होने लगी
            " राजन सचदेव "

 तवक़्क़ो    =   उम्मीद Expectations     

Don't Judge

No one has it easy - 
Everybody has problems.
We don't know what other people are going through.
So before judging, criticizing, or mocking others, 
we should remember that everybody is fighting their own battle - Just like us.
Just as we don't want to be judged  
We don't want people to know all our problems. 
Others also feel the same way. 
Therefore, if we want people to respect us, we must respect them too.
Treat others as we want to be treated by them. 
                     " Rajan Sachdeva "

Friday, April 28, 2023

ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਘਟਨਾਵਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਸਾਡਾ ਰਵੱਈਆ

ਬਾਹਰ ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਕੀ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ - ਇਸ ਨਾਲੋਂ ਇਹ ਜਾਣਨਾ ਵਧੇਰੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੇ ਅੰਦਰ ਕੀ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ। 
ਬਾਹਰ ਕੀ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਇਹ ਅਧਿਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਨਹੀਂ ਹੈ -
ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੇ ਅੰਦਰ ਕੀ ਚਲ ਰਿਹਾ ਹੈ। 
ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਘਟਨਾਵਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਸਾਡਾ ਰਵੱਈਆ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤੀਕਰਮ ਸਾਡੇ ਪਿਛੋਕੜ ਅਤੇ ਅਨੁਭਵ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ। 
ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਮਨ ਹਰ  ਘਟਨਾ ਪ੍ਰਤੀ ਨਕਾਰਾਤਮਕ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕ੍ਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ। 
ਅਤੇ ਇੱਕ ਸ਼ਾਂਤ ਮਨ ਹਮੇਸ਼ਾ ਮੁਸ਼ਕਲਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਕੁਝ ਚੰਗਾ ਲੱਭਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ।
ਇਸ ਲਈ ਬਾਹਰ ਕੀ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ - ਇਸ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੇ ਅੰਦਰ ਕੀ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ । 

ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ ਨਾਲ - ਅਭਿਆਸ ਨਾਲ ਹਰ ਚੀਜ਼ ਸਿੱਖੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ। 
ਜੇ ਅਸੀਂ ਸ਼ਾਂਤ ਰਹਿਣ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕਰਦੇ ਰਹੀਏ - ਤਾਂ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਅਸੀਂ ਹਰ ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣ ਅਤੇ ਆਪਣੀਆਂ ਪ੍ਰਤੀਕ੍ਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। 
ਸ਼ਾਂਤ ਮਨ ਹੀ ਸਵਰਗ ਅਤੇ ਸੁਖੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅਧਾਰ ਹੈ।   
                               ' ਰਾਜਨ ਸਚਦੇਵ '

परिस्थितियों के प्रति दृष्टिकोण और प्रतिक्रिया

बाहर क्या हो रहा है -- इस से ज़्यादा ज़रुरी है ये जानना कि हमारे अंदर क्या हो रहा है।
जो बाहर हो रहा है - वो इतना महत्वपूर्ण नहीं है।
महत्वपूर्ण बात ये है कि हमारे अन्दर - हमारे मन में क्या चल रहा है।

परिस्थिति और घटनाओं के प्रति हमारा दृष्टिकोण और प्रतिक्रिया हमारी पृष्ठभूमि और अनुभव पर निर्भर करती है।
एक अशांत मन हर परिस्थिति में नकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया करता है।
और एक शांत मन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमेशा कुछ अच्छा ही खोजने की कोशिश करता है।
इसलिए - जो अंदर हो रहा है वो बाहर की घटनाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

और प्रैक्टिस से - अभ्यास से सब कुछ सीखा जा सकता है।
अगर हम शांत रहने का अभ्यास करते रहें तो धीरे धीरे हम हर परिस्थिति को संभालने और अपनी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में कामयाब हो सकते हैं।
एक शांत मन ही स्वर्ग और सुखी जीवन का आधार है।
                                              ' राजन सचदेव '

Attitude and Reaction

What happens outside is less significant than what happens within us.
More important is what is going on inside us - in our minds - and our attitude toward the incidents.

Our attitude and reaction to situations and events depend on our background and experience.
A disturbed mind may react to every situation in a negative way.
A calm and peaceful mind will always try to find something good - even in adverse situations.
What happens inside is more important than what is happening outside.
The good news is that everything can be learned with practice.
By practicing to stay calm and peaceful, we can learn to handle every situation and control our reactions.
A peaceful mind is a heaven within.
                                             ' Rajan Sachdeva '

Thursday, April 27, 2023

To Achieve Success

To achieve success - 
           Not only imagination and vision, 
                   But meaningful work is essential as well.

Just looking at the stairs is not enough
            It is also necessary to climb the stairs to go up.

सफलता प्राप्त करने के लिए

सफलता प्राप्त करने के लिए 
                   सिर्फ कल्पना ही नहीं
                               सार्थक कर्म करना भी ज़रुरी  है।
ऊपर जाने के लिए
        सीढ़ियों को देखना ही पर्याप्त नही है
                                सीढ़ियों पर चढ़ना भी ज़रुरी है।

Wednesday, April 26, 2023

Tiger and the Fox

A fox who lived in a deep forest had lost its front legs - perhaps escaping from a trap.
A man who lived in the forest saw the fox from time to time and wondered how it managed to get its food. She can't even walk because of the amputated legs - how can she run and hunt for food? 

One day, he saw the fox not far from him - crawling, dragging herself on her two legs. 
The man decided to watch her - 
but he had to hide quickly because a tiger was approaching. 
The tiger had a fresh kill in its claws. 
Lying down on the ground, he ate all he could, leaving the rest for the fox. 
Again the next day, the great Provider of this world sent provisions to the fox by the same tiger. 
The man kept watching for a few days. 
That tiger would come there with his prey - eat as much as he could and leave the rest for the fox.
The man began to think: 
"If this fox is taken care of in this mysterious way, its food sent by the unseen Higher Power, why don't I just rest and have my daily meal provided for me too?"

He sat in a corner - praying and waiting for his food. 
But nothing happened.
He had a lot of faith, so he let the day pass, praying and waiting for food.
Still, nothing happened.
But he did not lose faith - hoping God would provide for him soon.
Day by day - he was losing weight and strength - but nothing was provided to him mysteriously. 
One day, close to losing consciousness, he heard a voice that said:
"O you, who have mistaken the way - see now the Truth!
Instead of imitating the disabled fox, you should have followed the example of that tiger - who not only worked for his own food - but provided to others too."
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In the past, I used to pray, O' God - Please feed the hungry, cover the naked, and provide shelter to the homeless. 
Now I pray for guidance and strength to do what I can to make a difference. 
I pray for the courage to do what I am supposed to do.
I used to think that Ardas and prayers would change things and circumstances, but now I know that prayers are supposed to change us - our thoughts - and we should try to change the things we can.

The real purpose of Ardas and prayer is to summon the strength to change things around us by selfless actions - and to accept the circumstances that are not possible to change - which are beyond our control.
                                 ' Rajan Sachdeva '

शेरऔर लोमड़ी

एक जंगल के किनारे पर एक साधू अपनी झोंपड़ी में रहता था। 
पास ही जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जिसके आगे के दोनों पैर कटे हुए थे। 

अक्सर उसे पिछले दो पैरों पर घिसटते हुए देख कर वह साधू हैरान होता कि वो लोमड़ी अभी तक  जीवित कैसे है ? वह अपना भोजन कैसे ढूंढ़ती होगी? 
दौड़ना तो क्या - वो तो चल भी नहीं सकती - वो शिकार कैसे करती होगी? 
क्योंकि लोमड़ी घास-फूस या पत्ते तो खा नहीं सकती और कटी हुई टांगों के कारण वो शिकार भी नहीं कर सकती।  उसे भोजन कैसे मिलता होगा ?

एक दिन, उसने उस लोमड़ी को अपने दो पैरों पर खुद को घसीटते हुए - रेंगते हुए देखा तो उसका पीछा करके देखना चाहा कि वह क्या और कैसे खाएगी। 

तभी अचानक उसने एक शेर को उस तरफ आते हुए देखा और वह भाग कर झाड़ियों में छुप गया। 
शेर एक ताज़ा मारे हुए जानवर को घसीट कर ला रहा था। 
वहीं पास में एक खुली जगह देख कर शेर जमीन पर बैठ कर अपना लाया हुआ शिकार खाने लगा। 
जितना खा सकता था उसने खाया - और बाकी वहीं छोड़ कर चला गया। 
शेर के जाने के बाद लोमड़ी धीरे धीरे रेंगती हुई गई और बचा हुआ खा कर उसने अपना पेट भर लिया।

दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ। उसी शेर के द्वारा लोमड़ी को फिर से भोजन मिल गया।
वो आदमी कुछ दिन देखता रहा। वह शेर रोज़ अपने मारे हुए शिकार के साथ वहां आता - जितना खा सकता - खाता और बाकी उस लोमड़ी के लिए छोड़ कर चला जाता। 

वह साधू सोचने लगा: "देखो - ईश्वर किस तरह प्रति दिन इस असहाय लोमड़ी को उस शेर के द्वारा भोजन भेजता है। 
अगर इस लोमड़ी की इस रहस्यमय तरीके से देखभाल हो रही है - 
अगर वह महान शक्ति इस लोमड़ी को इस रहस्यमय तरीके से भोजन प्रदान करती है - इसका ध्यान रखती है तो मुझे भी कुछ करने की ज़रुरत नहीं है।  
यदि इस के भोजन का प्रबंध उस अदृश्य महान शक्ति द्वारा किया जा रहा है तो अवश्य ही वह मेरे लिए भी मेरा दैनिक भोजन प्रदान करेगा।
अब आज से मैं भी सिर्फ आराम करुंगा और इस लोमड़ी की तरह मेरे लिए भी सर्वशक्तिमान ईश्वर मेरा दैनिक भोजन किसी न किसी तरीके से उपलब्ध करवा देंगे। "

ये सोच कर वह अपनी झोंपड़ी के एक कोने में बैठ गया - और प्रार्थना करते हुए अपने भोजन की प्रतीक्षा करने लगा।
लेकिन कुछ देर बीतने पर भी कुछ नहीं हुआ। भोजन नहीं मिला।
पूरा दिन प्रार्थना करते हुए और भोजन की प्रतीक्षा करते हुए बीत गया।
मगर फिर भी कुछ नहीं हुआ। 
कहीं से भी उसके लिए भोजन नहीं आया। 

लेकिन उसने धैर्य नहीं खोया। 
उसे विश्वास था कि परमेश्वर एक दिन उसकी प्रार्थना ज़रुर सुनेंगे और उसे भोजन प्रदान करेंगे।
कई दिन बीत गए। 
लेकिन कुछ नहीं हुआ।
पर फिर भी उसने विश्वास नहीं खोया - उसे उम्मीद थी कि भगवान जल्द ही उसे भोजन प्रदान करेंगे।दिन बीतते गए - भोजन न मिलने से उसका शरीर कमज़ोर होने लगा। वो दुर्बल होता चला गया। 
लेकिन किसी भी रहस्यमय तरीके से उस के पास भोजन नहीं पहुंचा। 

एक दिन जब वह भूख से बेहाल हो रहा था तो उसे एक आवाज सुनाई दी - 
"अरे मूर्ख - तुमने देख कर भी सत्य को न देखा - न समझा !
तुम भूल गए और रास्ते से भटक गए - तुमने ग़लत मार्ग चुन लिया  - 
सत्य को देखो और समझने को कोशिश करो !
उस असहाय विकलांग लोमड़ी की नकल करने की बजाय, तुम्हें उस शेर का अनुसरण करना चाहिए था - जो न केवल अपना भोजन प्राप्त करने के लिए मेहनत करता था - बल्कि दूसरों को भी - किसी असहाय और विकलांग को भी भोजन प्रदान कर रहा था।"

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अतीत में - मैं ऐसी प्रार्थना किया करता था -  हे प्रभु - कृपा करो कि संसार में कोई भूखा नंगा न रहे - कोई बेघर न हो। 
सब पर कृपा करो -- भूखों को खाना दो - नंगों को वस्त्र प्रदान करो  - और बेघरों को आश्रय दो।
और प्रार्थना करने के बाद अपने जीवन में व्यस्त और मग्न हो जाता था।

अब मैं ऐसी प्रार्थनाओं और गीतों की जगह प्रभु से सही मार्गदर्शन और शक्ति के लिए प्रार्थना करता हूं कि जो मैं कर सकता हूं वह करुं - अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी का भला कर सकूं।

पहले मैं सोचता था कि हमारी प्रार्थनाएँ परिस्थितियों को बदल देंगी - केवल अरदास करने से ही परिस्थितियां बदल जाएंगी और सब ठीक हो जाएगा। 
लेकिन अब ये बात समझ आई है कि अरदासें और प्रार्थनाएँ परिस्थिति नहीं - बल्कि हमें और हमारे विचारों को बदलने में सहायता करती हैं।
हमें वो काम करने चाहिए जो हम कर सकते हैं। 
अपनी सामर्थ्य के अनुसार हमें अवांछित और कठिन परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करनी चाहिए - केवल बातें ही नहीं - बल्कि जो हम कर सकते हैं वो करने का प्रयत्न करना चाहिए ।

लेकिन जहां हम असमर्थ हों - जो हम नहीं कर सकते - 
या जिन परिस्थितियों को बदलना सम्भव न हो - जो हमारी सामर्थ्य से बाहर हों - 
उन्हें स्वीकार कर लेना ही अरदास और प्रार्थना का असल उद्देश्य है।
                                           ' राजन सचदेव '  

Innocence - Kindness - A touching/Motivational video


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Tuesday, April 25, 2023

मित्रों और सहयोगियों का चुनाव - ਦੋਸਤਾਂ ਅਤੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੀ ਚੋਣ

दवाई कड़वी होती है 
लेकिन रोग का उपचार करती है
चीनी मीठी होती है 
लेकिन शरीर को नुकसान पहुंचाती है
इसलिए - 
अपने मित्रों और सहयोगियों का चुनाव बुद्धिमानी और सावधानी से करें।
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ਦਵਾਈ ਕੌੜੀ ਹੁੰਦੀ ਪਰ ਠੀਕ ਵੀ ਓਹੀ ਕਰਦੀ 
ਖੰਡ ਮਿੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਤੇ ਹੱਡੀਆਂ ਗਾਲ ਦਿੰਦੀ 
ਇਸ ਲਈ - 
ਆਪਣੇ ਦੋਸਤਾਂ ਅਤੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੀ ਚੋਣ ਸਮਝਦਾਰੀ ਅਤੇ ਸਾਵਧਾਨੀ ਨਾਲ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਐ।

Choose your friends and companions wisely

Medicine is bitter - 
But it heals - it cures the disease
Sugar is sweet - 
But it harms and sabotages the body.

Therefore -
Choose your friends and companions wisely. 

Today's Computers

Today's computers are almost like humans
Except that 
They don't blame other computers for their mistakes.

आजकल के कंप्यूटर - ਅੱਜਕਲ ਦੇ ਕੰਪਿਊਟਰ

आजकल के कंप्यूटर सोचने और काम करने में लगभग इन्सान की तरह ही हैं 
फ़र्क़ सिर्फ इतना है  -
कि वह अपनी गलतियों के लिए किसी दूसरे कंप्यूटर को दोष नहीं देते।

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ਅੱਜਕਲ ਦੇ ਕੰਪਿਊਟਰ ਸੋਚਣ ਅਤੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਰਗੇ ਹੀ ਹਨ
ਫਰਕ ਸਿਰਫ ਇੰਨ੍ਹਾਂ ਹੈ -
ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਗਲਤੀਆਂ ਲਈ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਕੰਪਿਊਟਰ ਨੂੰ ਦੋਸ਼ ਨਹੀਂ ਦੇਂਦੇ।

Monday, April 24, 2023

Remembering Satguru Baba Gurbachan Singh ji

            Satguru Baba Gurbachan Singh ji 
A Spiritual Master and a Great Social Reformer
          December 10, 1930 - April 24, 1980


जिन उसूलों से खुशहाली आए, रिश्ते मधुर बनें, सब प्यार-मोहब्बत से रहें उन्हें ही असल में मर्यादा कहते हैं। 
ब्रह्मज्ञानियों की मर्यादा तो यह है कि वे निरंकार-दातार की रजा में रहते हैं, प्रभु इच्छा को शुभ मानते हैं, हर हाल में खुशी महसूस करते हैं। 
वे हर सम्बन्धी की, हर रिश्तेदार की कद्र करते हैं। 
सबका आदर- मान करते हैं, किसी से छल-कपट नहीं करते। 
वे गली-मुहल्ले में, आस-पड़ोस में, नम्रता की, प्यार की, सिदकदिली और सहनशीलता की मिसाल होते हैं। 
वे कभी कोई ऐसा काम नहीं करते जिससे किसी का कोई नुकसान हो या किसी का दिल दुखे।
                             " युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह"

                                              Roman Script

Prabhu kee ichchha shubh maanana hee maryaada hai
Jin usoolon say khush haali aaye, rishtay madhur banen, 
sab pyaar-mohabbat say rahen unhen hee asal mein maryaada kehtay hain. 

Brahm-gyaaniyon kee maryaada to yeh hai ki vo Nirankaar-daataar kee razaa mein rehtay hain, 
Prabhu ichchha ko shubh maantay hain - har haal mein khushee mehsoos kartay hain. Vo har sambandhi kee, har rishtedaar kee kadar kartay hain. Sab ka aadar- maan kartay hain, kisee say chhal-kapat nahin kartay. Vo galee-muhallay mein, aas-pados mein, namrtaa kee, pyaar kee, sidak -dili aur shehnsheeltaa kee misaal hotay hain. 
V0 kabhee koyi aisa kaam nahin kartay jis say kisi ka koyi nuksaan ho ya kisi ka dil dukhay. 
                      "Yug pravartak Baba Gurbachan Singh ji"

                          English Translation

Maryada means accepting everything as God's wish.

Only those principles which bring happiness - make the relationships sweet - and make people live in love and harmony - are actually called Maryada. 

The Maryada of the Brahm-Gyanis is that they live with the will of Nirankar-Datar - consider the desire of God to be auspicious, and feel happiness in every situation.

They respect every relationship, every relative. 
They respect everyone and do not deceive anyone. 
They are examples of humility, love, kindness, and tolerance in the neighborhood. They never do anything that causes harm to anyone or hurts anyone's feelings.
                                    "Baba Gurbachan Singh ji"

Sunday, April 23, 2023

Homage to Mata Kumar Sahajwani ji

In a world full of negativity - where people often prioritize their own needs over others, it is truly gratifying to come across someone full of love for everyone. ​
Such is the case of Mata Kumar ji - ​mother of Sh. Kumar Sahajwani ji - who had nothing but love and generosity in her heart.​ Who spent her life just ​loving and ​giving and giving.​
Her kind and caring nature touched the hearts of everyone who met her and became an inspiration to all who knew her.

​She left her mortal body yesterday at the age of 97 in Phoenix Arizona.​

Though this remarkable ​mother has lived a long and wonderful life, it's her kindness, compassion, and selflessness that have left a lasting impact on those around her. E​​everyone who met her was touched by her warmth and kindness.​
Anyone who knew her personally knows that she was, in fact,​ ​​'love personified'​ ​-​ always ​smiling and loving - ​spreading love and joy wherever she went. Never complained or spoke ill of anyone. 
It seemed her mission in life was just ​loving and giving and giving.

​Despite facing her health ​challenges over the last couple of ​years, this remarkable mother had never let them dampen her spirits. 
She always approached life with a positive attitude and​ unshakable steadfast​ ​dedication towards the Satguru and Nirankar.​ 
Even when she was in her late eighties - she would get up in the congregations and start singing and dancing in sheer love and devotion. 
She ​was​ a shining example of the power of love and compassion. 
It reminds us that even small acts of love and kindness can have profound impacts on others.
​Her impact on my mind - and many others - is immeasurable and unforgettable.
Her legacy of love and kindness - tolerance, forgiveness, and big-heartedness, will always ​live in our minds - even if she is no more with us​ physically. 

​In a society that often values material possessions and individual success above all else, this wonderful lady has shown us the value of giving and loving unconditionally. That - the greatest gifts we can give are not only money and worldly things - but those of the heart - kindness, compassion, and love - to rise above all differences and disagreements and always be helpful and grateful. 

We can all learn from her example - and strive to make a positive difference in our lives - and in the world around us in our own unique ways. 
Let us celebrate the life of this great and wonderful Saint​ Mata Kumar ji - who reminds us of the beauty and power of love and kindness.
                                             " Rajan Sachdeva "

Crabby Old Lady

When an old woman died in the geriatric ward of a nursing home in Moosomin, Saskatchewan, it was believed that she had nothing left of any value. 
Later, when the nurses were going through her meager possessions, they found this poem. 
Its quality and content impressed the staff so much that copies were made and distributed to every nurse in the hospital. 
The old woman's sole bequest to posterity has since appeared in the Christmas edition of the News Magazine of the St. Louis Association for Mental Health. 
A slide presentation has also been made based on this simple, but eloquent, poem.
 
                                                  Crabby Old Lady 
 
What do you see nurses? . .. . What do you see?
What are you thinking .. .. .. when you're looking at me?
A crabby old lady .. .. .. not very wise,
Uncertain of habit .. .. .. with faraway eyes?
Who dribbles her food .. .. .. and makes no reply.
When you say in a loud voice .. .. .. 'I do wish you'd try!'
Who seems not to notice .. .. .. the things that you do.
And forever is losing .. .. .. A sock or shoe?
Who, resisting or not .. .. .. lets you do as you will,
With bathing and feeding .. .. .. a long day to fill?
Is that what you're thinking? .. .. .. Is that what you see?
Then open your eyes, nurse .. . .. you're not looking at me.
 
I'll tell you who I am .. .. .. As I sit here so still,
As I do at your bidding, .. .. .. as I eat at your will.
I'm a small girl of Ten . .. . with  a father and mother,
Brothers and sisters .. .. .. who love one another.
 
A young girl of Sixteen .. .. .. with wings on her feet.
Dreaming that soon now .. .. .. a lover she'll meet.
A bride soon at Twenty .. .. .. my heart gives a leap.
Remembering, the vows .. .. .. that I promised to keep.
 
At Twenty-Five, now .. .. .. I have young of my own.
Who need me to guide .. .. ..  a secure happy home.
A woman of Thirty . .. .. My young now grown fast,
Bound to each other .. .. .. With ties that should last.
 
At Forty, my young sons .. .. .. have grown and are gone,
But my man is beside me . .. . to see I don't mourn.
At Fifty, once more, .. .. .. babies play 'round my knee,
Again, we know children .. .. .. My husband and me.
 
Dark days are upon me .. .. .. my husband's now dead.
I look at the future .. .. .. and shudder with dread.
For my young are all rearing .. .. .. young of their own.
And I think of the years .. .. . and the love that I've known.
 
I'm now an old woman .. . .. and nature is cruel.
'Tis jest to make old age .. .. .. look like a fool.
The body, it crumbles .. .. .. grace and vigor depart.
There is now a stone .. . .. where I once had a heart.
 
But inside this old  carcass .. .. .. a young girl still dwells,
And now and again .. .. .. my battered heart swells.
I remember the joys .. .. .. I remember the pain.
And I'm loving and living .. .. .. life over again.
 
I  think of the years, all too few .. .. .. gone too fast.
And accept the stark fact .. .. . that nothing can last.
So open your eyes, people .. .. .. open and see.
Not a crabby old woman .. .. .. look closer .. .. see ME!
             ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Remember this poem when you next meet an older person who you might
brush aside without looking at the young soul within.  We will all, one day,
be there, too!
                                            (Courtesy of Dr. V. Bajaj ji)

Saturday, April 22, 2023

सीमित और संकीर्ण सोच

आगे बढ़ने और शुभ कर्म करने के लिए ऊंची सोच का होना ज़रुरी है।

सीमित और संकीर्ण सोच हमें जीवन के हर क्षेत्र में सीमित कर देती है और हमें ऊपर उठने नहीं देती।
संकीर्ण सोच वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
वे न तो अपना भला कर सकते हैं और न ही किसी और का।
आगे बढ़ने और ऊपर उठने के लिए ये ज़रुरी है कि हमारी सोच ऊँची और विशाल हो - 
ऐसी सोच, जो तर्क और व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हो।

ज्ञान और व्यक्तिगत अनुभव ही हमारी सोच और विचार का आधार होता है।
उच्च विचार - उच्च ज्ञान से आते हैं।
ज्ञान उच्च होगा तो विचार भी उत्तम होंगे।
यहां यह भी विचारणीय है कि दूसरों के ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरणा तो मिल सकती है
लेकिन जब तक वह हमारा अपना अनुभव नहीं बन जाता
तब तक हमें व्यक्तिगत रुप से कोई लाभ नहीं हो सकता।
सोच ऊँची होगी - व्यापक होगी तभी हम दूरदर्शिता, समानता और समन्वयता के साथ सोच पाएंगे - अन्यथा नहीं।
                                                  ' राजन सचदेव '

Limited thinking limits our Progress

To rise above and do Shubh Karma (good deeds) - it is necessary to have high thinking.
Limited and narrow thinking limits our field and progress.
Narrow-minded people can never move forward.
They can neither do good to themselves nor for anyone else.

If we want to move forward and rise above, it's vital to have high and relevant thinking.
Thinking, which is based on logic and personal experience. 

Knowledge and personal experience are the basis of our thoughts and beliefs - our views and ideas.
High thinking comes from a higher knowledge.
Higher knowledge comes from a deep understanding - by questioning, reasoning, and finding the facts and truth about everything. 

We can always learn from other people's knowledge and experiences - but it can never benefit us personally until it becomes our own experience.
Only with higher thinking - with broad views and open-mindedness - we will be able to think with foresight, equality, and serenity - not otherwise.
                                    ' Rajan Sachdeva '

Friday, April 21, 2023

कुछ ज्ञान की बातें

                                      कुछ ज्ञान की बातें
1. अगर कोई नग्न व्यक्ति आपको कपड़े देने की पेशकश करता है तो उस से सावधान रहें !
2. भविष्य जोखिम उठाने वालों का है - रिस्क लेने वालों का है - 
     ख़ाली बैठ कर आराम चाहने वालों का नहीं !
3. सुबह उठते ही सबसे पहले जिस व्यक्ति की याद आती है - 
    और रात को सोने से पहले जिस का ख़्याल आता है - 
    वह व्यक्ति या तो आपके सुख और ख़ुशी का कारण है या दुःख और दर्द का। 
4. किसी पर भरोसा करते वक़्त सावधानी बरतें - 
    अच्छी तरह सोच समझ कर ही भरोसा करें - नमक और चीनी दोनों सफेद होते हैं! 
     उनकी असलीयत का पता चखने से लगता है - देखने से नहीं। 
5. पहले सुनते थे कि दीवारों के भी कान होते हैं - 
     पर आजकल दीवारें देख भी सकती हैं। 
6. अगर श्रोता बहरे हों तो संगीत किसी काम का नहीं !
7. रात कितनी भी लंबी क्यों न हो - आखिर खत्म हो जाती है और दिन निकल आता है!
8. बुद्धिमान व्यक्ति जानते हैं कि हर इंसान से कुछ न कुछ सीखने को मिल सकता है!
9. ज्ञान को समझने के लिए विवेक बुद्धि की आवश्यकता होती है।
10. कभी-कभी, मूर्खों को मूर्ख बनाने के लिए स्वयं भी मूर्ख की भूमिका निभानी पड़ती है - 
      ऐसे मूर्खों को जो ये सोचते हैं कि वे आपको मूर्ख बना रहे हैं!
11. कोई भी व्यक्ति अकेला कुछ भी नहीं कर सकता 
      सफलता प्राप्त करनी है तो मिलकर काम करें!

Words of Wisdom

                              Words of Wisdom

1. Beware of the naked person who offers you clothes!
2. The future belongs to the Risk-takers - Not the Comfort seekers!
3. The first person you think of in the morning, or the last person you think of at night 
     is either the cause of your happiness or your pain!
4. Be careful who you trust! -  Salt and Sugar are both white!
5. Kindness is like butter - It works best when you spread it around!
6. Walls don’t only have ears -  They can now see too!
7.  No matter how long the night - the day is sure to come!
8. A wise person knows that there is something to be learned from everyone!
9. It requires wisdom to understand wisdom.
10. Sometimes, you have to play the role of a fool to fool the fools who think they are fooling you!
11. The music is nothing if the audience is deaf!
12. None of us is as smart as all of us.
      So - Work together to achieve success!!

Lies and illusions feel good

Lies and illusions feel good - 
but they do not revolutionize life.
Truth is bitter - 
but without apprehending and accepting it, 
there is no peace in life. 

सच्चाई कड़वी होती है

झूठ और भ्रांति अच्छे  लगते हैं -  
पर इन से जीवन में क्रांति नहीं आती  
सच्चाई कड़वी होती है 
लेकिन उसे समझे बिना जीवन में शांति नहीं आती 

Thursday, April 20, 2023

ज्ञान एवं विवेक का उत्कृष्ट रुप

बुद्धि अथवा विद्या की उच्चतम सीढ़ी तथा ज्ञान एवं विवेक का उत्कृष्ट रुप है - 
साक्षी-भाव से निरीक्षण   
अर्थात किसी के गुण और दोषों की जांच न करना - 
किसी के लिए अपनी कोई राय न बनाना।
सब को समभाव से देखते हुए सब से प्रेम और सब का आदर सत्कार करना।

परीक्षण के बिना निरीक्षण 
वैमनस्य और द्वेष रहित समीक्षण
संकीर्णता से रहित विचार 
और स्वार्थ तथा भेदभाव से रहित व्यवहार 
                         " राजन सचदेव " 

The highest form of intelligence

The highest form of intelligence is - 
      To observe without judgment.

The highest state of Gyana & Vivek - knowledge and wisdom is to observe as a Saakshi - as a witness. 
This means not judging merits and demerits -
Not making opinions about others.
Seeing everyone equally - 
Loving and respecting everyone without discrimination of any sort.
Assessment without judgment
Review without malice
Opinions and beliefs without narrow-mindedness
and conduct - free from selfishness and discrimination.
                          "Rajan Sachdeva "

Wednesday, April 19, 2023

खुशबु हो अगर तुम --- ਖੁਸ਼ਬੂ ਅਗਰ ਹੋ ਤੁਮ

ज़ुल्मत के तलातुम से उभर क्यों नहीं जाते
उतरा हुआ है दरिया - गुज़र क्यों नहीं जाते
बादल हो, तो बरसो किसी बे-आब ज़मीं पर
खुशबु हो अगर तुम तो बिखर क्यों नहीं जाते
                                      (लेखक अज्ञात) 
          ~~~~~~~~~~~~

ਜ਼ੁਲਮਤ ਕੇ ਤਲਾਤੁਮ ਸੇ ਉਭਰ ਕਿਓਂ ਨਹੀਂ ਜਾਤੇ 
ਉਤਰਾ ਹੂਆ ਹੈ ਦਰਿਆ ਗੁਜ਼ਰ ਕਿਓਂ ਨਹੀਂ ਜਾਤੇ 
ਬਾਦਲ ਹੋ ਤੋ ਬਰਸੋ ਕਿਸੀ ਬੇ ਆਬ ਜ਼ਮੀਂ ਪਰ 
ਖੁਸ਼ਬੂ ਅਗਰ ਹੋ ਤੁਮ ਤੋ ਬਿਖਰ ਕਿਓਂ ਨਹੀਂ ਜਾਤੇ                
                                (ਲੇਖਕ ਅਗਿਆਤ) 

Khushbu ho Agar Tum خوشبو ہو اگر تم

Zulmat kay Talaatum say ubhar kyon nahin jaatay
Utraa huaa hai dariya- guzar kyon nahin jaatay
Baadal ho - to barso kisi be-aab zameen par
Khushbu ho agar tum to bikhar kyon nahin jaatay 
                                          (Writer Unknown)

ज़ुल्मत  Zulmat ........... Oppression, Tyranny, Cruelty
तलातुम  Talaatum ......... High Tides, Strong waves / Flood
बे-आब ज़मीं     Be-Aab Zameen ....... Dryland

                                        Translation
Why don't you rise above the tides of tyranny and oppression?
The river has receded - why don't you cross it over?
If you are a cloud, then shower on some dry land?
And if you are a fragrance - then why don't you scatter with the wind 
- to spread your aroma.
                                         ' Rajan Sachdeva ' 

ظلمت کے تلاطم سے ابھر کیوں نہیں جاتے 
اترا ہوا ہے دریا گزر کیوں نہیں جاتے 
بادل ہو - تو برسو کسی بے آب زمیں پے 
خوشبو ہو اگر تم تو بکھر کیوں نہیں جاتے 

Tuesday, April 18, 2023

बिस्कुट -चोर

हम अक़्सर ये सोचते और समझते हैं कि हमें सब पता है - हम सब कुछ जानते हैं। 
हम सोचते हैं कि हम सही हैं और बाकी सब ग़लत हैं।
हम अक़सर अपने मिलने वाले और आसपास के लोगों को गलत समझ कर उनके बारे में गलत राय बना लेते हैं। 
किसी बात को देख कर या सुन कर - बिना उस पर अच्छी तरह विचार किये ही जल्दी से किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं 
और उन पर बुरे इरादों का आरोप लगा देते हैं।

लेकिन हो सकता है कि हम ही गलत हों। 
और कभी कभी ऐसा भी होता है कि जब हमें सच्चाई का पता चलता है - अपनी ग़लती का एहसास होता है तो बहुत देर हो चुकी होती है। 
उनसे  क्षमा मांगे का अवसर भी हाथ से निकल चुका होता है। 
इसलिए - किसी के बारे में कोई राय बनाने और अपना फैसला सुनाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

इस विषय पर वैलेरी कॉक्स की लिखी हुई एक बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी अंग्रेजी कविता पढ़ने को मिली - जो कल के ब्लॉग में पोस्ट भी की थी। 
कुछ पाठकों ने उसके हिंदी अनुवाद के लिए अनुरोध किया है।
ओरिजिनल इंग्लिश कविता का अनुवाद कविता में तो नहीं हो सकता - 
कम से कम मेरे लिए तो उस भाव को उसी सुंदरता के साथ कविता रुप में बांधना सम्भव नहीं है - 
इसलिए उस कविता का सारांश प्रस्तुत है।

                             बिस्कुट -चोर

एक महिला हवाईअड्डे पर प्रतीक्षा कर रही थी
उसकी उड़ान में अभी कुछ घंटों का समय था ।
उसने हवाई अड्डे के स्टोर से एक किताब खरीदी 
और साथ ही एक बिस्कुट का पैकेट भी खरीद लिया 
और एक बेंच पर बैठ कर विमान की प्रतीक्षा करने लगी 

बैंच पर बैठ कर किताब पढ़ते हुए 
साथ ही रखे हुए पैकेट में से एक एक बिस्कुट निकाल कर खाने लगी। 
वह किताब पढ़ने में तल्लीन थी - और अचानक उसने देखा 
कि उसके बगल में बैठे हुए आदमी ने भी उस पैकेट में से एक बिस्कुट निकाला और खा लिया। 
महिला को बहुत बुरा लगा मगर फिर भी उस ने कुछ कहना ठीक नहीं समझा। 
लेकिन जैसे ही वो पैकेट में से एक बिस्कुट निकालती - वो आदमी भी एक बिस्कुट निकाल कर खा लेता।

वह किताब पढ़ती हुई - बिस्कुट खाती हुई बार बार अपनी घड़ी देख रही थी। 
जैसे-जैसे मिनट बीतते जा रहे थे, उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था 
क्योंकि वह बिस्कुट-चोर उसका स्टॉक खत्म करता जा रहा था। 
वो सोच रही थी कि यह आदमी कितना ढ़ीठ और बदतमीज़ है। 
"अगर मैं एक अच्छी और सभ्य नारी न होती तो अभी इस के मूंह पर एक तमाचा जड़ देती " 

तभी उसने देखा कि पैकेट में एक ही बिस्कुट बचा है। 
वो सोचने लगी - देखें - अब वो क्या करता है?
उसकी हैरानी की हद न रही जब उसने देखा 
कि उस बिस्कुट-चोर ने वह आखरी बिस्कुट भी उठा लिया 
फिर उसने उस बिस्कुट के दो टुकड़े किए 
और मुस्कुराते हुए आधा बिस्कुट महिला को पेश कर दिया। 

 "इस आदमी में इतनी हिम्मत? इतनी असभ्यता?"
ये सोच कर महिला ने एक झटके से वह आधा बिस्कुट उसके हाथ से छीन लिया 
फिर अपना सामान समेटा और अपने विमान के गेट की ओर चल पड़ी। 
उसने पीछे मुड़कर उस बदतमीज़ बिस्कुट-चोर को देखना भी अपना अपमान समझा। 

बोर्डिंग शुरु हो गयी थी। 
वह विमान में चढ़ी और अपनी सीट पर बैठ गई। 
थोड़ी देर बाद किताब निकलने के लिए अपने बैग में हाथ डाला 
तो आश्चर्य चकित हो गई - उस की ऑंखें खुली की खुली रह गईं 
जो बिस्कुट का पैकेट उसने हवाई अड्डे पर खरीदा था 
वो उसके बैग में उसकी आँखों के सामने पड़ा था !

"अगर मेरा पैकेट यहां मेरे बैग में है - 
तो इसका मतलब है कि वो पैकेट तो उस आदमी का था। 

उसके होठों से एक आह निकली - और सोचने लगी कि 
असल में बिस्कुट-चोर वो नहीं - बिस्कुट-चोर तो मैं थी -
असभ्य वो नहीं  - असभ्य तो मैं थी। 
वो तो एक भला आदमी था जो बिना कुछ कहे - 
अपने बिस्कुट मेरे साथ सांझा कर रहा था !"

लेकिन अब देर हो चुकी थी। विमान उड़ चुका था। 
अब वो जा कर उस सज्जन को ढूंढ कर उस से माफ़ी भी नहीं मांग सकती थी। 
उसका धन्यवाद भी नहीं कर सकती थी। 
अपनी ग़लती के लिए पश्चाताप करते हुए वह बार बार यही सोचने लगी कि असभ्य, कृतघ्न, और चोर तो वह स्वयं थी।
उसकीआँखों में आंसू थे - लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। 
क्षमा मांगने का अवसर भी हाथ से निकल चुका था। 

इसलिए - किसी के बारे में कोई राय बनाने में कभी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
                " राजन सचदेव "

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं - पुनरपि जननीजठरे शयनम् ।
इह संसारे बहुदुस्तारे - कृपया पारे पाहि मुरारे ॥ २१॥
             (आदि शंकराचार्य - भज गोविन्दं - 21) 

बार-बार जन्म -  बारंबार मरण - बारम्बार माँ के गर्भ में शयन 
इस अंतहीन चक्र को तोड़ना बहुत दुश्वार है - अत्यंत कठिन है।
हे  मुरारी! हे प्रभु  - कृपा करके मुझे इस संसार सागर से पार करो। 

Cycle of Birth & Death -- Punarapi Jananam Punarapi Maranam

Punarapi Jananam Punarapi Maranam 
Punarapi janani Jathray Shayanam
Eh Sansaaray Bahu-Dustaaray
Kripya paaray Paahi Muraaray 
       (Aadi Shankaracharya - Bhaj Govindam - 21)

Repeated Birth - Repeated Death 
Being born again and again - Dying again and again.
Repeatedly sleeping in the mother's womb 
Indeed it's hard to break this endless cycle.
Oh, Murari! Oh, the Great Lord - Redeem me from this ocean of Samsara through Thy Mercy.

Monday, April 17, 2023

मुकम्मल कब हुई कभी Everyone lost something (Mukammal kab huyi)

मुकम्मल कब हुई कभी - किसी की  ज़िंदगी
हर शख़्स कुछ खोता रहा कुछ पाने के लिए 

Mukammal kab huyi kabhi - kisi ki zindagi 
Har shakhs kuchh khotaa raha kuchh paanay kay liye

                        Translation
When did someone's life ever become complete?
Everyone lost something to gain something

مکمل کب ہوئی کبھی کسی کی زندگی 
ہر شخص کچھ کھوتا رہا کچھ پانے کے لئے 

The Cookie-Thief

We like to think we know everything and that we are always right.
Many times, we misunderstand and misjudge people around us. 
We quickly jump to conclusions and wrongly accuse them of bad intentions.
Though, at times, it's possible that we may be wrong, and more than often, when 
we realize it, it's too late to even apologize.
We should, therefore, not hurry up in passing our judgment on people. 

Here is a wonderful heart-touching poem - a perfect example of this theme.

                           The Cookie-Thief
                                                 (By Valerie Cox )

A woman was waiting at an airport one night,
With several long hours before her flight.
She hunted for a book in the airport store,
bought a bag of cookies, and found a place to drop.

She was engrossed in her book, but happened to see,
That the man beside her, as bold as could be,
Grabbed a cookie or two from the bag between,
Which she tried to ignore, to avoid a scene.

She read, munched cookies, and watched the clock,
As the gutsy "cookie thief" diminished her stock.
She was getting more irritated as the minutes ticked by,
Thinking," If I wasn't so nice, I'd blacken his eye!"

With each cookie she took, he took one too.
When only one was left, she wondered what he'd do.
With a smile on his face and a nervous laugh,
He took the last cookie and broke it in half.

He offered her half and ate the other.
She snatched it from him and thought," Oh brother,
This guy has some nerve, and he's also rude,
Why, he didn't even show any gratitude!"

She had never known when she had been so galled
and sighed with relief when her flight was called.
She gathered her belongings and headed for the gate,
Refusing to look back at the "Thieving Ingrate"

She boarded the plane and sank in her seat,
Then sought her book, which was almost complete.
As she reached in her baggage, she gasped with surprise.
There was her bag of cookies in front of her eyes!

"If mine are here," she moaned with despair,
"Then the others were his and he tried to share!"
Too late to apologize, she realized with grief
That she was the rude one, the ingrate, the thief.

Sunday, April 16, 2023

You don't have to be Perfect to Inspire others

"You don't have to be perfect to inspire others
Just need to be honest and truthful." 

To inspire others, you don't need to be perfect and flawless in every respect.
Guiding and inspiring others by sharing your experiences with truth and honesty - is also excellent work and great service. 

Remember - No person in the world is perfect in every respect. 
And no one can be.
No human being can be fully knowledgeable in every subject - every field and perfect in every art.
Every person has some qualities but has some flaws and weaknesses too. 
No one is perfect and flawless in every way.
But if we wish, we can take advantage and learn from every good and bad experience of their life - and try to move towards the path of perfection and flawlessness ourselves.

Similarly - if we think and know that we are not perfect ourselves - even then - with our limited knowledge and experience, we must try to inspire others to uplift their state of mind - Try to bring upliftment and happiness in their lives.
                                              "Rajan Sachdeva "

प्रेरणा देने के लिए

औरों को प्रेरित करने के लिए ये ज़रुरी नहीं कि आप स्वयं हर लिहाज़ से पूर्ण और त्रुटि रहित ही हों। 
सच्चाई और ईमानदारी के साथ अपने अनुभव दूसरों के साथ सांझा करके उन का मार्गदर्शन करना भी एक उत्तम कार्य एवं सेवा है।  

संसार में कोई भी व्यक्ति हर लिहाज़ से पूर्ण नहीं है और न ही हो सकता है।  
कोई भी इंसान हर एक विषय का पूर्ण ज्ञानी और हर एक कला में निपुण नहीं हो सकता। 
हर व्यक्ति में कोई न कोई गुण होता है और साथ ही कुछ कमज़ोरियाँ भी होती हैं। 
कोई भी व्यक्ति हर लिहाज़ से पूर्ण और त्रुटि-रहित नहीं है। 

लेकिन अगर हम चाहें तो उनके जीवन के हर अच्छे और बुरे अनुभव से लाभ उठा सकते हैं - और स्वयं त्रुटि-रहित एवं पूर्णता के मार्ग की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न कर सकते हैं। 

इसी तरह - अगर हम ये सोचते और समझते हैं कि हम स्वयं पूर्ण नहीं है तो भी अपने सीमित ज्ञान और अनुभव से औरों को प्रेरणा दे कर उनकी मनःस्थिति को ऊपर उठाने - उनके जीवन में उत्त्थान और प्रसन्नता लाने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए। 
                                                               " राजन सचदेव "

Saturday, April 15, 2023

यह सोचने में समय बर्बाद न करें

यह सोचने में समय बर्बाद न करें कि आप क्या कर सकते थे - 
या किस काम को कैसे - और किस ढंग से करना चाहिए था।
अब भविष्य पर नज़र रखें 
और हमेशा हर काम सोच-समझ कर सही ढंग से करने की कोशिश करें। 

Do not waste time thinking

Do not waste time thinking about what you could and should have done 
or could have done differently. 
Now keep an eye on the future 
and try to do everything carefully and correctly in the future - 
without being misled.

Distractions and Sumiran

I remember a nice educational story I heard in my childhood.

A man was traveling on his horse.
The horse was thirsty. 
The man looked around and saw a farmer watering his fields by running a Rehat* at a well at some distance.
The traveler came to the well to let his horse drink water from the Rehat.
The horse came close to the tank to drink water but got scared by the loud noise created by the Rehat and stepped back.
The horse was thirsty - so he came close to the water again. 
But he got scared and stepped back again.
Seeing this, the traveler asked the farmer to stop the Rehat for a while so that the rattling sound would stop and the horse could drink water.
The farmer stopped the Rehat - but as soon as the Rehat stopped, the water stopped too.
So the farmer started the Rehat again - but the horse would not drink water because of the loud noise.
It went on a couple of times. 
Every time the Rehat moved, the horse got scared, and when they stopped the Rehat, Water would stop.
There was a big dilemma.
If the Rehat moves, the horse gets scared - and if it stops, the water stops.

The farmer said to the traveler - 
Just as you have trained the horse for riding - train him to drink water in the noise of the Rehat or other things as well. 
Otherwise, this dilemma will always be there. He will have to learn to drink water in the noise.

Similarly, we often think that when the hustle and bustle and noise of life would stop - only then we will be able to meditate and do Sumiran, etc.
But that is a mistake.
As long as there is life - the distractions of the world - the cycle of happiness and sorrow and the game of hope and despair will continue. It will never stop or end.
Therefore, we should do the Bhakti - Sumiran - meditation while living in the hustle and bustle of life and the noise.
Only then will we be able to continue walking on the right path and reach our destination.
Otherwise, we might waste our lives waiting for the right and appropriate moment.
                                                         "Rajan Sachdeva"
Note:
*A Rehat is a device for extracting water from a well - in which a series of buckets threaded into a rope moves in a circular (up & down) motion when the rope is pulled by oxen.

संसार की हलचल और सुमिरन

आज बचपन में सुनी एक कहानी याद आ गई। 
एक आदमी घोड़े पर जा रहा था। 
घोड़े को प्यास लगी थी। आदमी ने देखा कि कुछ दूर कुएँ पर एक किसान रहट चलाकर अपने खेतों में पानी लगा रहा था। 
मुसाफिर कुएँ पर आया और घोड़े को रहट से पानी पिलाने लगा। 
पर जैसे ही घोड़ा झुककर पानी पीने की कोशिश करता, रहट की ठक-ठक की आवाज से डर कर पीछे हट जाता। फिर आगे बढ़कर पानी पीने की कोशिश करता और फिर रहट की ठक-ठक से डरकर हट जाता। 
मुसाफिर ने यह देख कर किसान से कहा कि भाई - थोड़ी देर के लिए अपने बैलों को रोक लो ताकि रहट की ठक-ठक बन्द हो जाए और घोड़ा पानी पी सके। 
किसान ने रहट रोक दिया - लेकिन रहट के रुकते ही पानी आना भी बंद हो गया।  इसलिए किसान ने फिर बैलों को हाँक कर रहट चला दिया। 
और रहट के शोर से डर कर घोड़ा फिर पीछे हट गया। ये सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा।  
बड़ी दुविधा बनी। 
रहट चले तो घोडा डरे - और रुके तो पानी बंद।  
किसान ने कहा कि भाई - जैसे तुमने घोड़े को सवारी के लिए ट्रेंड (Trained) किया है वैसे ही इसे रहट या अन्य चीज़ों के शोर में ही पानी पीने के लिए भी ट्रेंड करो अन्यथा ये दुविधा हमेशा ही बनी रहेगी। इसे ठक-ठक में ही पानी पीना पड़ेगा।

इसी तरह हम भी अक़्सर ये सोचते हैं कि जीवन की ठक-ठक - हलचल और शोर शराबा बन्द होगा तभी हम ध्यान सुमिरन इत्यादि कर सकेंगे।  
लेकिन यह हमारी भूल है। 
जब तक जीवन है - संसार की हलचल - ये सुख दुःख का चक्र और आशा-निराशा का खेल तो चलता ही रहेगा।  
हमें जीवन की हलचल और संसार के शोर शराबे में रह कर ही भक्ति - ध्यान एवं सुमिरन करना पड़ेगा तभी हम अपने सही मार्ग पर चल कर मंज़िल को पा सकेंगे अन्यथा कहीं सही और उपयुक्त समय की इंतज़ार में जीवन ही समाप्त न हो जाए। 

Friday, April 14, 2023

फ़क़त बातों से ही अब दिल को बहलाना तो मुश्किल है

फ़क़त बातों से ही अब दिल को बहलाना तो मुश्किल है 
नज़र के सामने जो है   -  वो झुठलाना  तो मुश्किल है 

बहुत पहले से ही जो मरहले हम छोड़ आए हैं 
उन्हीं रस्तों पे फिर से लौट के जाना तो मुश्किल है  

ये  दुनिया है  यहां  हर रंग के  इन्सान  बसते  हैं   
सभी की सोच हो यकसां - ये हो पाना तो मुश्किल है 

किसी को चाहिए दुनिया किसी को रब से मतलब है 
सभी को एक ही सफ़ में बिठा पाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं मंज़िलें सब की - हैं सब के मुख़्तलिफ़ रस्ते 
सभी को एक ज़ेर-ए -बाम पे लाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं ख़्वाहिशें सब की अलग हैं शौक़ भी सब के   
सभी का एक से रंग में ही रंग जाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं मुश्किलें सबकी - जुदा हैं सब के रंज-ओ-ग़म
सो इक नुस्ख़े से हर मसले को सुलझाना तो मुश्किल है 
 
कभी सुख है कभी दुःख है -निराशा है कभी आशा
रहे इकसार ही जीवन  - ये हो पाना तो मुश्किल है 

तजुर्बे से जो सीखा है - सिखाया जा भी सकता है 
जिसे ख़ुद ही नहीं समझे वो समझाना तो मुश्किल है 

ये दंगे और झगड़ों की फ़सादों की ही दुनिया है 
यहां इस दौर में ईमान का लाना तो मुश्किल है 

अलग हैं रंग और शक़्लें - अलग हैं बोलियां बेशक 
मगर हैं तो सभी इन्सां ये झुठलाना तो मुश्किल है 

ज़माने भर के क़र्ज़े  तो चुकाए जा भी सकते हैं 
मगर माँ बाप के क़र्ज़े को लौटाना तो मुश्किल है 

किसी को प्यार मिलता है मोहब्बत में किसी को ग़म 
हो सब का एक ही जैसा ये अफ़साना तो मुश्किल है 

किसी की जीत होती है किसी की मात होती है 
सभी के ही गले में  हार पहनाना तो मुश्किल है 

करो उनका शुकर 'राजन ' जो मिलते हैं मोहब्बत से
सभी के दिल में अपना नाम लिखवाना तो मुश्किल है 
                               " राजन सचदेव "


फ़क़त                = सिर्फ़ , केवल, महज़ 
मरहले                = पड़ाव, रास्ते, मंज़िल, परिस्थिति, अवस्था, प्रकरण, परिच्छेद Stages, Phases इत्यादि
यकसां                = एक जैसा, समान, समरुप, अनुरुप 
एक ही सफ़ में    =  एक पंक्ति में,  साथ साथ 
मुख़्तलिफ़          = अलग अलग 
बाम                    = छत 
एक ज़ेर-ए -बाम =  एक ही छत के नीचे 

To delight heart with just words is difficult - Faqat baaton say dil ko behlaana mushkil hai

Faqat baaton say hee ab dil ko behlaana to mushkil hai
Nazar kay saamnay jo hai - vo jhuthlaana to mushkil hai

Bahut pehlay say hee jo marhalay ham chhod aaye hain
Unheen raston pay phir say laut kay jaana to mushkil hai

Ye duniya hai yahaan har rang kay insaan bastay hain
Sabhi kee soch ho yaksaan - ye ho paana to mushkil hai

Kisi ko chaahiye duniya - kisi ko Rab say matlab hai
Sabhi ko ek hee Saf mein bithaa paana to mushkil hai

Juda hain manzilen sab ki - hain sab ksy mukhtalif rastay
Sabhi ko ek Farsh-o-Baam pay laana to mushkil hai

Judaa hain khvaahishen sab ki alag hain shauq bhi sab kay
Sabhi ka ek say rang mein hee rang jaana to mushkil hai

Judaa hain mushkilen sab ki - judaa hain sab kay ranj-o-gam
So ik nuskhay say har maslay ko suljhaana to mushkil hai

Kabhi Sukh hai kabhi duhkh hai -Niraasha hai kabhi Aasha 
Rahay iksaar hee jeevan ye ho paana to mushkil hai

Tajurbay say jo seekha hai - sikhaayaa ja bhi saktaa hai
Jisay khud hee nahin samjhay vo samjhaana to mushkil hai

Ye dangay aur jhagdon ki Fasaadon ki hee duniya hai
Yahaan is daur mein eemaan ka laana to mushkil hai

Alag hain rang aur shaqlen - alag hain boliyaan beshak
Magar hain to sabhi insaan ye jhuthlaana to mushkil hai

Zamaanay bhar kay qarzay to chukaaye ja bhi saktay hain 
Magar Maan-Baap kay qarzay ko lautaana to mushkil hai

Kisi ko pyaar miltaa hai mohabbat mein kisi ko gam
Ho sab ka ek hee jaisaa  ye Afsaana to mushkil hai

Kisi kee jeet hoti hai -- kisi kee maat hoti hai
Sabhi kay hee galay mein haar pehnana to mushkil hai

Karo un ka Shukar 'Rajan' jo miltay hain mohabbat say
Sabhi kay dil mein apnaa naam likhvaana to mushkil hai
                                    " Rajan Sachdeva "


Faqat                    = Just, Only 
Behlaana             = To delight, To Satisfy
Jhuthlaana          = to deny, Ignore 
Marhalay             = Stages, Phases, Circumstances, Places, Events
Yaksaan               = Same, Similar, Identical 
Ek Saf mein        = in the same row
Mukhtalif            = Different, Opposite, Separate, Diverse, Unlike 
Farsh                    = Floor
Baam                    = Roof
Afsaana                = Story
Haar                     = Garland 

                             English Translation 
To delight the heart with just words now - is difficult.
To deny what is so apparent - right in front of the eyes - is difficult. 

The places we have left far away - and long ago
To go back on the same path again - is difficult.

This is the world where people of all colors (moods & perspectives) live.
Everyone should think the same way - it is difficult. 

Some want the world - and some desire God
Placing everyone in the same row - is difficult.

Everyone has a different destination - everyone's path is different. 
Getting everyone on the same floor - under the same roof - is difficult.

Their cravings are different, and their pursuits are different
To paint everyone in the same color - is difficult.

Everyone's problems are different - their sorrows are distinct too.
Solving everyone's problem with one recipe, with one formula - is difficult.
 
Sometimes there is happiness - sometimes sadness. 
Sometimes there is despair, and sometimes there is hope.
Life will always stay the same - it is difficult.

What is learned from experience can be taught also
To explain what one does not understand himself - is difficult.

This is a world full of riots, conflicts, and quarrels
To have conviction in these times - is difficult.

Colors and looks are different - dialects are different too
But to deny that they are all human beings - is difficult.

Paying back the debts of everyone is possible.
But to return the debts of the parents - is difficult.

Someone gets love in return for love - someone gets only sorrow and despair.
Everyone's story should be the same - is difficult.

Someone wins - and someone loses. (it's part of life)
Putting a garland around everyone's neck - is difficult.

Thank those who meet and greet you with love
To engrave your name in everyone's heart - is difficult.
                                "Rajan Sachdeva"

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...