Saturday, February 25, 2023

हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही

हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही 
क्या चाँद तारे क्या मुर्ग़ ओ माही 

कुछ क़द्र अपनी तू ने न जानी 
ये बे-सवादी ये कम-निगाही 

दुनिया-ए-दूँ की कब तक ग़ुलामी
या राहेबी कर - या पादशाही 

पीर-ए-हरम को देखा है मैं  ने 
किरदार-ए-बे-सोज़ गुफ़्तार वाही 
               "अल्लामा इक़बाल "

मुर्ग़-ओ- माही          =  पक्षी और मछलियाँ (ज़मीन और पानी में रहने वाले प्राणी)
दुनिया-ए-दूँ             =  निम्न संसार - निचली दुनिया - नश्वर संसार 
राहेबी                      =  मोक्ष प्राप्ति का साधन 
पादशाही                 = बादशाहत, राज्य 
पीर-ए-हरम            =  मक्क़ा क़ाबा का पीर - बड़े बड़े पीर फ़क़ीर या धार्मिक गुरु 
किरदार-ए-बे-सोज़ =  अनुभवहीन कर्म, ना-तजरबाकार,  जिस कर्म या उपदेश के पीछे स्वयं का अनुभव न हो 
गुफ़्तार वाही           =  निरर्थक भाषण, अर्थहीन वार्ता  

                                भावार्थ 
संसार की हर वस्तु मुसाफिर है - चलायमान है 
क्या चाँद तारे - और क्या ज़मीन और पानी में रहने वाले जंतु - 
सभी राही हैं - चलते रहते हैं - आते जाते रहते हैं। 

इंसान ने अपनी कीमत नहीं जानी  - इंसानी जन्म, मनुष्य-योनि की अहमियत को नहीं समझा। 
नाशवान संसार के स्वाद में पड़ा हुआ है और दूरदर्शिता से काम नहीं लेता। 
देखते हुए भी नहीं देखता कि एक दिन सब यहीं छोड़ कर चले जाना है। 

आखिर कब तक इस निम्न - निचले - नाशवान संसार की गुलामी करते रहोगे?
या तो मोक्ष प्राप्ति का साधन करो या संसार को जीत लो अर्थात माया के गुलाम मत बने रहो। 

बड़े बड़े पीर-फ़क़ीरों को - साधु संतों और धर्म गुरुओं को क़रीब से देखा है कि उनके किरदार में - कर्म में कोई अनुभव नहीं है - 
अर्थात उनके जीवन में कोई महान एवं अनुकरण करने योग्य कोई बात नहीं है - नम्रता और त्यागभाव नहीं है 
और उनके उपदेश भी अर्थहीन हैं - प्रभावशाली नहीं हैं। 
क्योंकि शब्द वही प्रभावशाली होते हैं जिनके पीछे बोलने वालों का अपना किरदार - अपना कर्म और अनुभव होता है।  

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On this sacred occasion of Mahavir Jayanti  May the divine light of Lord Mahavir’s teachings of ahimsa, truth, and compassion shine ever br...