जितनी अधिक आकांक्षा उतना ही अधिक लोभ
जितनी अधिक अपेक्षा - उतना ही अधिक क्षोभ
जितनी अधिक आसक्ति - उतना ही अधिक दुःख
जितनी अधिक संतुष्टि - उतना ही अधिक सुख
जितनी अधिक प्रसिद्धि - उतना ही अधिक अहम
जितनी रुढ़िवादिता - उतना ही अधिक वहम
जितनी अधिक अस्थिरता उतना ही अधिक क्रोध
जितनी अधिक नीरवता - उतना ही आत्म-बोध
जितनी अधिक लालसा - उतनी ही आकुलता
जितना अधिक संग्रह - उतनी ही व्याकुलता
जितनी अधिक समीक्षा - उतनी ही अधिक भ्रान्ति
जितना अधिक मौन - उतनी ही अधिक शान्ति
" राजन सचदेव
We all know it, but don’t practice
ReplyDeleteThanks for reminding. 🙏🙏
👌👌👏👏🙏🙏
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ReplyDeleteBeautiful Poem
Yash
Beautiful lines, lest we forget
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