ज्यों रहीम हनुमंत को गिरिधर कहै न कोय
अर्थात: एक बड़ा आदमी अगर कोई छोटी सी बात भी कह दे या कोई छोटा सा काम भी कर दे तो लोग उसकी बहुत प्रशंसा करते हैं ।
लेकिन एक साधारण समझे जाने वाले इंसान के बड़े से बड़े काम को भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है - कोई उसकी चर्चा तक नहीं करता।
जैसे कि लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान इतना बड़ा पहाड़ उठा कर ले आए लेकिन उन्हें कोई गिरिधर नहीं कहता।
जैसे कि लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान इतना बड़ा पहाड़ उठा कर ले आए लेकिन उन्हें कोई गिरिधर नहीं कहता।
जबकि कृष्ण को दुनिया भर में गिरिधर के नाम से जाना और पूजा जाता है।
इस छोटे से दोहे में अब्दुल रहीम ने संसार की इतनी गहरी, लेकिन कड़वी सच्चाई को कितनी सुंदरता और सहजता से कह दिया है कि कोई साधारण व्यक्ति चाहे कितनी अच्छी बात कह दे या कितना ही बड़ा काम क्यों न कर दे, उसका ज़िकर कोई नहीं करता, न ही उसे कोई सम्मान देता है। लेकिन एक बड़े एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति की छोटी सी बात अथवा छोटे से काम को भी बहुत बड़ा माना जाता है और जगह जगह पर प्रेम और श्रद्धा के साथ उसकी चर्चा होने लगती है। अक़्सर देखने में आता है कि लोग 'बात या काम' पर ध्यान देने की जगह सिर्फ़ यह देखते हैं कि ये बात किस ने कही, या वो काम किसने किया।
इस छोटे से दोहे में अब्दुल रहीम ने संसार की इतनी गहरी, लेकिन कड़वी सच्चाई को कितनी सुंदरता और सहजता से कह दिया है कि कोई साधारण व्यक्ति चाहे कितनी अच्छी बात कह दे या कितना ही बड़ा काम क्यों न कर दे, उसका ज़िकर कोई नहीं करता, न ही उसे कोई सम्मान देता है। लेकिन एक बड़े एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति की छोटी सी बात अथवा छोटे से काम को भी बहुत बड़ा माना जाता है और जगह जगह पर प्रेम और श्रद्धा के साथ उसकी चर्चा होने लगती है। अक़्सर देखने में आता है कि लोग 'बात या काम' पर ध्यान देने की जगह सिर्फ़ यह देखते हैं कि ये बात किस ने कही, या वो काम किसने किया।
अगर वह बात किसी उच्च पदवी पर आसीन किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा कही गई हो तो हम फ़ौरन नत-मस्तक हो जाते हैं - लेकिन वही बात अगर किसी साधारण व्यक्ति के मुख से निकली हो तो हम उसकी आलोचना करने से भी नहीं चूकते।
बात चाहे वही हो लेकिन कहने वाला बदल जाए तो सुनने वालों की प्रतिक्रिया भी बदल जाती है।
सही या ग़लत - लेकिन यही है इस संसार का नियम और चलन।
कड़वा एवं दुःखद - परन्तु सत्य।
बात चाहे वही हो लेकिन कहने वाला बदल जाए तो सुनने वालों की प्रतिक्रिया भी बदल जाती है।
सही या ग़लत - लेकिन यही है इस संसार का नियम और चलन।
कड़वा एवं दुःखद - परन्तु सत्य।
Excellent explanation. I see it every day in daily life but only Great Rahim could put it into two simple lines and you explained so well: Narendra
ReplyDeleteसमदृष्टि सम्भव है किंतु समव्यवहार उतना ही कठिन...
ReplyDeleteबिल्कुल सहमति वाली बात है जी
ReplyDeleteBilkul sahi btaya aap ne d
ReplyDeleteExactly! Doesn't matter the worth advice
ReplyDeleteMatters who said, this is called foolishness