Saturday, June 30, 2018

प्रीतम छबि नैनन बसी, Preetam Chhabi Nainan Basee

                   प्रीतम छबि नैनन बसी, पर-छबि कहां समाय।
                  भरी सराय ‘रहीम’ लखि, पथिक आप फिर जाय॥
                                                     ~  अब्दुल रहीम  खानखाना  ~ 

शब्दार्थ : 
जिन आँखों में प्रियतम की सुन्दर छवि बस गयी, वहां किसी दूसरी छवि को कैसे जगह मिल सकती है? 
भरी हुई सराय को देखकर पथिक स्वयं ही वहां से लौट जाता है। 

अर्थात - जिसने अपने  मन-मन्दिर में प्रभु को पूरी तरह बसा लिया
वहां से मोहिनी माया, अपने रहने की जगह न पाकर, उल्टे पांव लौट जाती है।

                Preetam chhabi nainan basee, Par chhabi kahaan samaaye
                Bharee saraaye 'Raheem' lakhi,  pathik aap phir jaaye 

Meaning:
In the eyes, where the beautiful image of Lord has been completely filled
How can any other image settle in?
Seeing the inn completely filled, the wanderer himself returns from there.

In other words - 
The one who has completely filled the temple of his heart with the image of the Almighty Lord -
The Maya - not being able to find any place for itself - goes away from there on its own - 
Without any effort from the Bhakt.


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