मन अपना पुराना पापी है, बरसों में नमाज़ी बन न सका
'इक़बाल ' बड़ा उपदेशक है - मन बातों में मोह लेता है
गुफ़्तार का ये ग़ाज़ी तो बना, किरदार का ग़ाज़ी बन न सका
"अलामा इक़बाल "गुफ़्तार = वार्तालाप, बोलचाल, भाषण
ग़ाज़ी = मज़हब के लिए लड़ने वाला, धर्मयोद्धा, मज़हबी लड़ाई का हीरो
किरदार = कर्म, आचरण, व्यवहार
BAHUT SUNDER IKBAL JI KA SHEYAR 👌👌👌
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteसमझने में देर लगी मेरे छोटे दिमाग को, पर क्या खूब लिखा है। वाह वाह।
ReplyDelete🙏🙏
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