सागर क्यों महान है?
क्योंकि वह सभी जलधाराओं से नीचे स्थित है।
और क्योंकि वह सभी जलधाराओं से नीचे है - असंख्य नदियाँ स्वयंमेव ही उसकी ओर बहती चली आती हैं
— उसमें समा जाने के लिए।
सागर की महानता ऊँचाई में नहीं - बल्कि उसकी विनम्रता और नीचे होने में है।
नदियाँ कभी ऊँचे शिखरों तक पहुँचने का प्रयास नहीं करतीं —
वे तो अनायास ही सागर की गहराई की ओर खिंची चली जाती हैं, जो चुपचाप उन्हें अपनाने के लिए बाहें फैलाए तैयार रहता है।
महान बनने के लिए सागर के समान शांत, विशाल और विनम्र एवं हर एक का स्वागत करते हुए सहज भाव से सबको अपनाने का यत्न करें।
सच्चा सम्मान प्राप्त करने के लिए स्वयं को दूसरों से निम्न रखने का प्रयास करें।
" राजन सचदेव "
सागर की महानता ऊँचाई में नहीं - बल्कि उसकी विनम्रता और नीचे होने में है।
नदियाँ कभी ऊँचे शिखरों तक पहुँचने का प्रयास नहीं करतीं —
वे तो अनायास ही सागर की गहराई की ओर खिंची चली जाती हैं, जो चुपचाप उन्हें अपनाने के लिए बाहें फैलाए तैयार रहता है।
महान बनने के लिए सागर के समान शांत, विशाल और विनम्र एवं हर एक का स्वागत करते हुए सहज भाव से सबको अपनाने का यत्न करें।
सच्चा सम्मान प्राप्त करने के लिए स्वयं को दूसरों से निम्न रखने का प्रयास करें।
" राजन सचदेव "
🙏🙏🙏👌👌👌🙏🙏🙏
ReplyDeleteGreat definition maharaj
👍🙏🏻
ReplyDeletebilkul sahi
ReplyDeleteइसी प्रकार पर्वत भी महान है क्योंकि ऊंचाई पाने के बाद भी वो चुप रहते है। सागर का पानी vapor बन कर इन्ही ऊंचाई वाले पर्वतों पर बर्फ बनता है, फिर नदी, फिर इसे वापिस सागर को देता है। ऊंचाई पाकर भी विनर्म रहना, चुप रहना, शांत रहना किसी को भी महान बना सकता है।
ReplyDelete🙏
ReplyDelete