Friday, October 15, 2021

विजय-दशमी के उपलक्ष्य पर

विजय-दशमी के दिन हर साल - हर शहर में - बड़े उत्साह और जोश के साथ रावण का पुतला जलाया जाता है।

रावण जितना ऊंचा होगा, उतना ही भव्य और शानदार माना जाता है। 

और पटाखों के जलने का शोर जितना अधिक होता है  -
दर्शकों को उतना ही अधिक आनंद मिलता है।

लेकिन भीड़ में घिरा  - जलता हुआ रावण पूछता है:
अरे ओ मुझे जलाने वालो .......
तुम में से राम कौन है?

विडंबना यह है कि रावण को जलाने से पहले हम स्वयं ही उसे बनाते और सजाते हैं।
और फिर इसे सबके सामने खड़ा करके बड़े जोश से उसे जलाने का नाटक करते हैं ।
अगले साल फिर एक नया रावण बनाते हैं और फिर उसे जलाते हैं।
और हर साल यह सिलसिला जारी रहता  है।
अगर हम अपने मन में बार-बार एक नया रावण बनाना बंद कर दें….
तो फिर उसे बार-बार जलाने की ज़रुरत भी नहीं पड़ेगी।

आइए इस विजय दशमी - अथवा दशहरा पर ये संकल्प करें:
कि इस बार हम अपने अंदर के रावण को मार कर हमेशा के लिए जला देंगे
और फिर अपने मन में कभी कोई नया रावण पैदा नहीं होने देंगे।

नोट: 
रावण एक व्यक्ति से बढ़ कर एक प्रतीकात्मक आकृति है - जो धन, शक्ति, सौंदर्य, और ज्ञान आदि के झूठे अहंकार और कई अन्य नकारात्मक लक्षणों एवं अवगुणों का प्रतिनिधित्व करता है।



1 comment:

  1. THE DAY THE RAVANA OF HATRED, JEALOUSY, AND INHUMAN DOGMA IS SHUN FROM WITHIN A TRUE HUMAN WILL B REINCARNATED AND NO NEED OF BURNING AN EFFIGY OF RAVANA WILL ARISE🙏🙏🌹

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ये दुनिया - Ye Duniya - This world

कहने को तो ये दुनिया अपनों का मेला है पर ध्यान से देखोगे तो हर कोई अकेला है      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Kehnay ko to ye duniya apnon ka mela hai...