जो दूसरों के बारे में शिकायत करते रहते हैं उन्हें लगता है कि वे उनसे बेहतर हैं।
लेकिन वास्तव में आलोचना करने का मुख्य कारण है अज्ञानता - भय - और अहंकार ।
और दिलचस्प बात यह है कि हर इन्सान आलोचना करता है।
और दिलचस्प बात यह है कि हर इन्सान आलोचना करता है।
कुछ लोग तो इस लिए भी दूसरों की आलोचना करते हैं कि - 'वो तो हर बात पे आलोचना करते हैं ' - बिना यह सोचे कि वे भी ऐसा ही कर रहे हैं।
तथ्य यह है कि हर इंसान किसी न किसी रुप में दूसरों की आलोचना और शिकायत करता है।
कोई खुले तौर पर - सार्वजनिक रुप से
तो कुछ अपने विश्वसनीय चुनिंदा लोगों के साथ -
और कुछ लोग बिना एक भी शब्द बोले - अपने मन में ही आलोचना करते रहते हैं।
अगर हम इस से बचना चाहते हैं तो इस का एक ही समाधान है कि हम अपने विचारों को हमेशा सचेत रुप एवं साक्षी भाव से देखते रहें।
' राजन सचदेव '
अगर हम इस से बचना चाहते हैं तो इस का एक ही समाधान है कि हम अपने विचारों को हमेशा सचेत रुप एवं साक्षी भाव से देखते रहें।
' राजन सचदेव '
No comments:
Post a Comment