क्यों मैं ने मुझको घेरा है
मैं भूल गया - तुम भूल गए
सब चला चली का फेरा है
सब अपना अपना कहते हैं
क्या जग में है जो अपना है ?
जो अपना है सब सपना है
इक सपना ही बस अपना है
कल वाला पल तो बीत गया
इस पल में कैसी कल कल है
कल आने वाला जो पल है
इस पल में उसकी हलचल है
~डॉक्टर जगदीश सचदेव ~ (मिशिगन)
Wah ji wah.
ReplyDeleteS. Singh
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ReplyDeleteTrue, Seeking blessings to live in detached attachment state
ReplyDeleteZindagi ka satya
ReplyDeleteVery beautifully penned Santon..and so very true. Satguru, pl bless us with stability.
ReplyDeleteBeautiful.
ReplyDelete🌺 beautiful lines🌼
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