Saturday, October 23, 2021

विदाई - एक प्रिय मित्र एवं कलाकार पुरुषोत्तम मेहता


अभी दो दिन पहले, कॉलेज के दिनों के समय से मेरे एक बहुत ही अच्छे प्रिय मित्र - एक कुशल और प्रसिद्ध सितारवादक - आल इंडिया रेडियो और टी वी कलाकार पुरुषोत्तम मेहता - इस नश्वर संसार को छोड़ कर हमसे विदा हो गए।

एक महान कलाकार होने के साथ साथ वे बहुत ही सौम्य और दयालु - सरल हृदय और विनम्र - जमीन से जुड़े हुए - शुद्ध एवं पवित्र हृदय वाले उत्कृष्ट इंसान भी थे।

मेरे दिलो-दिमाग में उभर रही हैं हमारी दीर्घ कालीन मित्रता की मधुर यादें - वो मित्रता जो 1970 में पटियाला में शुरु हुई थीं ।
एक साथ सितार सीखना और बजाना - उनका पटियाला, चंडीगढ़ और जम्मू में मुझसे मिलने आना - और मेरा मलेरकोटला में उनके घर और कॉलेज में जाना - जहाँ वो Lecturer थे । फिर बाद में जम्मू में उनके ससुराल जाने का मौक़ा भी मिला।
और जालंधर में तो अक्सर ही हम दोनों का सितार निर्माता गुरदयाल सिंह जी के साथ दो दो तीन तीन दिन इकठे रहना।
बहुत सारी मीठी और शानदार यादें हैं इस सुखद दोस्ती की जो 50 वर्षों से भी अधिक समय तक क़ायम रही ।

एक बार मैंने एक नए नंबर से फ़ोन किया - 
नमस्ते और कैसे हो" के बाद मैंने पूछा - पहचाना?
तो हंस के कहने लगे -  कैसी बात करते हो यार - हम सुर का ही तो काम करते हैं - नाद और स्वर तो दिल दिमाग़ में बसा है और profession भी यही है तो फिर अपनों की आवाज़ की पहचान क्यों न होगी?

बहुत से लोग हमारे जीवन में आते हैं और चले जाते हैं - बहुत से दोस्त बनते हैं और चले जाते हैं। 
लेकिन कुछ मित्रता - कोई दोस्ती ऐसी होती है जो जीवन भर चलती है।

और साथ ही ऐसी घटनाएं हमें इस संसार की क्षणभंगुर प्रकृति की भी याद दिलाती हैं । 
एक दिन हम हंसते-खेलते हुए एक साथ जीवन का आनंद ले रहे होते हैं, और तभी अचानक, एक दिन उनके जाने का समाचार हमारे हृदय में हमेशा के लिए वियोग और उदासी की भावना भर देता है।
ऐसी घटनाएं हमें असहायता - हमारी दुर्बलता, मज़बूरी और छोटेपन का एहसास करवाती हैं।
हमें यह एहसास दिलाती हैं कि जीवन की कोई गारंटी नहीं है - 
कोई नहीं जानता कि ये संबंध कब तक क़ायम रहेंगे - ये रिश्ते नाते कितने समय तक चलेंगे।
फिर ऐसे सज्जन लोगों के जाने के बाद मन में ख़्याल आता है कि उनके साथ कुछ समय और इकठ्ठे बिताया होता तो अच्छा होता। 
मन में यह पछतावा रह जाता है कि जब समय था - जब अवसर था तो हमने उस मौके का फायदा क्यों नहीं उठाया - लेकिन तब सिर्फ पछतावे के अलावा और कुछ नहीं रहता - क्योंकि गया हुआ समय फिर लौट कर नहीं आ सकता। 

मृत्यु हमारे प्रियजनों को हमसे दूर तो ले जा सकती है, लेकिन वो हमारे दिल से उनका प्रेम और उनकी मधुर यादों को नहीं निकाल सकती। 
उनकी छवि हमारे दिल और दिमाग से मिटा नहीं सकती।

बेशक़ अब हम उन्हें कभी देख नहीं पाएंगे - उनसे मिल कर बात नहीं कर पाएंगे -
लेकिन वो हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे - अपने परिवार, दोस्तों मित्रों और प्रियजनों के मन में सदैव जीवित रहेंगे।
                                    ' राजन सचदेव '


जम्मू - 1981 

चंडीगढ़ - 1982 


 



4 comments:

  1. ����pranam to him����

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  2. Sorry for the loss.
    Beautiful story of his life and your friendship 🙏🙏💐💐🌹🌹🙏🙏

    Satyavan

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  3. एक अच्छी आत्मा का मालिक व्यक्तित्व वाले इंसान हमेशा सभी के दिलों में जीवित रहते हैं🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺

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  4. दिल से बनाए रिश्ते खत्म नहीं होते ।
    कभी-कभी खामोश हो जाते हैं।

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ये दुनिया - Ye Duniya - This world

कहने को तो ये दुनिया अपनों का मेला है पर ध्यान से देखोगे तो हर कोई अकेला है      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Kehnay ko to ye duniya apnon ka mela hai...