Saturday, September 4, 2021

कोई भी पूर्णतया सन्तुष्ट नहीं

संसार में कोई भी पूर्णतया सन्तुष्ट  नहीं है 

इन्सान चाहता है कि उड़ने को पर मिलें
परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिलें
                                'अज्ञात (Unknown)

इन्सां की ख़्वाहिशों की कोई इन्तहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ क़फ़न के बाद
                                          'कैफ़ी आज़मी  '

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अकेले रह जाने का ख़ौफ़ Fear of being alone (Akelay reh jaanay ka Khauf)

हम अकेले रह जाने के ख़ौफ़ से  अक़्सर नाक़दरों से बंधे रह जाते हैं           ~~~~~~~~~~~~ Ham akelay reh jaanay kay khauf say  Aqsar na-qadron sa...