बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं
अर्थ :
मनुष्य का मन ही बंधन एवं मोक्ष का कारण है
विषयों में आसक्ति बंधन का कारण है
और विषयों से अनासक्ति ही मोक्ष अथवा मुक्ति है
भावार्थ :
विषय का शाब्दिक अर्थ है - प्रसंग, प्रकरण, लक्ष्य, समस्या,अधीन - मुद्दा, मज़मून
जिसे इंग्लिश में subject - topic अथवा objective कहा जाता है।
हमारे पास पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं और उन सबके अपने अपने विषय हैं :
आँख का विषय है - रुप
नाक का विषय है - गंध
कान का विषय है - शब्द
जिह्वा (जीभ) का विषय है - रस अथवा स्वाद
और त्वचा का विषय है - स्पर्श
इन पाँचों विषयों में आसक्ति बंधन का कारण है।
अक़्सर हमारा मन इन विषयों में - रुप, रस ,गंध, शब्द और स्पर्श - में ही लिप्त रहता है
और इनके आधीन हो कर हमेशा इन के बंधन में ही बंधा रहता है।
इन विषयों में अनासक्ति का नाम है - मुक्ति।
अनासक्ति का अर्थ इन विषयों का - इन Subjects और उनके Objectives का पूर्ण रुप से त्याग नहीं -
बल्कि इनका यथायोग्य इस्तेमाल करते हुए इन में पूरी तरह से लिप्त न होने का नाम है अनासक्ति।
मन अपने में ही है 'राजन ' मोक्ष पाने की युक्ति
आसक्ति बंधन का कारण -अनासक्ति है मुक्ति
आसक्ति बंधन का कारण -अनासक्ति है मुक्ति
' राजन सचदेव '
Very nice
ReplyDeleteBeautiful 🙏
ReplyDeleteThanks for cleararity
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