Thursday, September 9, 2021

आसक्ति बंधन का कारण अनासक्ति है मुक्ति

           मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः‌
           बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं 
अर्थ :
मनुष्य का मन ही बंधन एवं मोक्ष का कारण है 
विषयों में आसक्ति बंधन का कारण है 
और विषयों से अनासक्ति ही मोक्ष अथवा मुक्ति है 

भावार्थ :
विषय का शाब्दिक अर्थ है  -  प्रसंग, प्रकरण, लक्ष्य, समस्या,अधीन - मुद्दा, मज़मून 
जिसे इंग्लिश में  subject - topic अथवा  objective कहा जाता है। 

हमारे पास पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं और उन सबके अपने अपने विषय हैं :
आँख का विषय है - रुप 
नाक का विषय है - गंध 
कान का विषय है - शब्द 
जिह्वा (जीभ) का विषय है - रस अथवा स्वाद 
और त्वचा का विषय है - स्पर्श 

इन पाँचों विषयों में आसक्ति बंधन का कारण है। 
अक़्सर हमारा मन इन विषयों में  - रुप, रस ,गंध, शब्द और स्पर्श  - में ही लिप्त रहता है 
और इनके आधीन हो कर हमेशा इन के बंधन में ही बंधा रहता है। 
इन विषयों में अनासक्ति का नाम है - मुक्ति।  

अनासक्ति का अर्थ इन विषयों का - इन Subjects  और उनके Objectives  का पूर्ण रुप से त्याग नहीं - 
बल्कि इनका यथायोग्य इस्तेमाल करते हुए इन में पूरी तरह से लिप्त न होने का नाम है अनासक्ति।  

मन अपने में ही है 'राजन ' मोक्ष पाने की युक्ति
आसक्ति बंधन का कारण -अनासक्ति है मुक्ति
                                         ' राजन सचदेव  ' 

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