Saturday, March 5, 2022

सब फैसले होते नहीं सिक्का उछाल के

सब फैसले होते नहीं सिक्का उछाल के
ये दिल का मामला है ज़रा देखभाल के

मोबाइलों के दौर केआशिक़ को क्या पता
रखते थे कैसे ख़त में कलेजा निकाल के

ये कहके नई रोशनी रोएगी एक दिन
अच्छे थे वही लोग पुराने ख़याल के

आंधी उड़ा के ले गई ये और बात है
वरना हम भी पत्ते थे मजबूत डाल के

तुमसे मिला है प्यार सभी रत्न मिल गए
अब क्या करेंगे और समंदर खंगाल के
                          " उदय प्रताप सिंह "

5 comments:

Na vo vaqt raha na main (Neither that time nor I...)

           Na vo shauq rahay - Na vo zid rahi             Na vo vaqt raha - Na vo main raha                            ~~~~~~~~~~~~~ Neither...