Thursday, December 17, 2020

अनुभव - पथ पर चलने से ही मिलेगा

किसी भी चीज को समझने या कोई भी कार्य करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।
लेकिन उसे महसूस करने और जीवन का अंग बनाने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है।
और अनुभव - सिर्फ़ पढ़ने या सुनने से नहीं - पथ पर चलने से ही मिलेगा
इसलिए चलते रहिए - 

लेकिन यह भी याद रहे कि जाना कहाँ है - किस रास्ते से - किस ओर - किस दिशा की तरफ चलना है।
मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते और दिशा का सही ज्ञान होना भी आवश्यक है। 
ग़लत रास्ते पर चलने से मंज़िल नहीं मिलती - बल्कि हम मंज़िल से दूर निकल जाते हैं । 

यदि आध्यात्मिकता एवं आत्मिक शांति हमारा लक्ष्य है तो आवश्यक है कि हमारी सोच भी आत्मिक स्तर पर होनी चाहिए - न कि शारीरक और सांसारिक स्तर पर। 
                                  ' राजन सचदेव '

2 comments:

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Naam letay hain vo mera kyon dushnaam say   (Disdain) Miltay hain jin say hamesha hum ikraam say    (Respectfully) Beqaraari me na aayi ne...