Monday, February 19, 2018

प्रोफेसर और नाविक

एक विद्वान प्रोफेसर साहिब एक नौका में  यात्रा कर रहे थे।
उन्होंने सोचा कि समय बिताने  के लिए क्यों न नाविक के साथ कुछ वार्तालाप किया जाए ?
ऐसा सोच कर उन्हों ने नाविक से पूछा "क्या तुमने कभी खगोल विज्ञान का अध्ययन किया है ?" 
नाविक  ने उत्तर दिया, "नहीं साहिब "
"फिर तो तुमने अपने जीवन का एक चौथाई हिस्सा व्यर्थ गंवा दिया। 
नक्षत्रों को पढ़ने से, उनकी दिशा को देखते हुए  एक कुशल कप्तान पूरे विश्व में नेविगेट कर सकता है"
कुछ मिनट बाद प्रोफेसर ने फिर पूछा:
"क्या तुमने मौसम विज्ञान का अध्ययन किया है?"
नाविक - "नहीं साहिब " 
प्रोफेसर ने कहा, "तब तो तुमने अपना आधा जीवन ही व्यर्थ गंवा दिया। 
"हवा को व्यवस्थित रुप से - सही ढंग से बादबान में संचालित करके एक कुशल नाविक अपनी नाव की गति बढ़ा सकता है।"

थोड़ी देर के बाद प्रोफेसर ने फिर पूछा :
"क्या तुमने सागर विज्ञान पढ़ा है?"
नाविक : "नहीं सर, मुझे इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं है।"
प्रोफेसर: "आह! अगर तुमने इसका भी ज्ञान प्राप्त नहीं किया तो तुमने अपनी तिहाई ज़िंदगी को बर्बाद कर लिया - 
जो लोग महासागर की धाराओं के बारे में जानते हैं, वो आसानी से समंदर में अपना रास्ता ढूंढ सकते हैं "
"महोदय! क्या मै आपसे एक प्रश्न कर सकता हूँ ? नाविक ने कहा
"क्या आप को 'तरनौलोजी' का ज्ञान है?
"वो क्या होती है? मैंने इसके बारे में कभी सुना भी नहीं" 
प्रोफेसर ने कहा।
नाविक - " तरनौलोजी - यानी तैरने की कला"
"नहीं भाई -  मैंने कभी तैरना नहीं सीखा -  प्रोफेसर ने जवाब दिया।

"प्रोफेसर साहिब ! फिर तो आपने अपना पूरा जीवन ही बर्बाद कर लिया - 
क्योंकि नाव डूब रही है और मैं तो तैर कर किनारे पर जा रहा हूँ - 
आप अपने प्राण स्वयं संभालिये "
 यह कह कर नाविक छलांग लगा कर पानी में कूद गया।

निष्कर्ष:
अपने नियमों और मानदण्डों के आधार पर दूसरों की परीक्षा या मूल्यांकन न करें - और न ही अपने हिसाब से उनके बारे में कोई विचारधारा बनाएं।
हो सकता है कि वो कुछ ऐसा जानते हों जिस का ज्ञान आपके पास न हो।
                           "राजन सचदेव "


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