Saturday, April 26, 2025

दूसरों के प्रति सहानुभूति

हम इंसानों के लिए अपनेऔर अपने प्रियजनों के दुःख दर्द को महसूस करना एक स्वाभाविक बात है।
लेकिन हमारी मानवता का असली मापदंड यह है कि हम उन लोगों के दुःख और पीड़ा को भी महसूस कर सकें जिन्हें हम अपना नहीं मानते। 
दूसरों के दुख और पीड़ा के लिए अपना दिल खोलना, उनके साथ सहानुभूति रखना और अपनी क्षमता  और सामर्थ्य के अनुसार उनकी सहायता करना ही सच्ची मानवता और वास्तविक करुणा की भावना का प्रतीक है।

यदि दूसरों का दुःख आपको नहीं झकझोरता - यदि उनका दर्द आपको छूता तक नहीं - 
तो यह अपने भीतर झाँकने का समय और आह्वान है। 
ये एक गंभीरता से सोचने का विषय है — इस पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। 
ये एक संकेत है कि शायद आपको भी किसी उपचार और सहायता की आवश्यकता है। 
शायद आपके भीतर कुछ ऐसे पुराने घाव दबे पड़े होंगे — अतीत के अनुभवों से उपजे — जो आज भी मौन और उपेक्षित पड़े हैं - 
जिन्हें पुनर्विचार और उपचार की आवश्यकता है।
                                             " राजन सचदेव "

6 comments:

  1. Par hitt saras Dharm nahi bhai
    Par peeda sam nahi adhmaayi

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  2. परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई"
    यह भाव मानव हृदय की नियति है मेरे साहिब। बहुत सुंदर व्याख्या 🌺ऐसे शुभ भाव से शेयर करते रहिए जी

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  3. दर्द ए दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को ,
    वरना हुकूमत के वास्ते फरिश्तों की कमी नहीं थी ...

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