Thursday, November 7, 2024

जा ठग ने ठगनी ठगी

माया तो ठगनी भई, ठगत फिरै सब देस। 
जा ठग ने ठगनी ठगी, ता ठग को आदेस।।
              " सद्गुरु कबीर जी महाराज "

आदेस     =    प्रणाम, नमस्कार 

1 comment:

  1. Beautiful. Kabir Ji's words have always been inspiring for me. Thanks you for sharing🙏

    ReplyDelete

हमारा अपना क्या है?

जन्म किसी और ने दिया  नाम भी दूसरों ने रखा  पालन पोषण और परवरिश भी दूसरों ने की  शिक्षा किसी और ने दी  काम अथवा रोजगार भी दूसरों ने दिया  ज्...