Saturday, September 26, 2020

ऐसा न सोचें कि हम श्रेष्ठ हैं

कभी ऐसा न सोचें कि हम अन्य लोगों से श्रेष्ठ हैं।
कभी किसी गरीब - कमजोर या अपने अधीन लोगों को दबाने और नियंत्रित करने का प्रयास न करें।
एक दिन, बड़े से बड़े राज्य भी मिट जाते हैं, और शक्तिशाली राजे महाराजे भी मिट्टी में मिल जाते हैं।

भक्ति की शुरुआत विनम्रता से होती है और विनम्रता में ही यह आगे बढ़ती है।
ज्ञान एवं ईश्वर-प्राप्ति के बाद व्यक्ति और भी अधिक विनम्र हो जाता है। उसके मन में सबके लिए प्रेम और सम्मान का भाव पैदा होता है।
वह लोगों पर हावी होने की - उन पर नियंत्रण रखने की कोशिश नहीं करता।
ज्ञानी भक्त दूसरों को कंट्रोल करने की बजाय सबसे प्रेम और सबका आदर करने लगता है।
जब तक हम अन्य लोगों पर हावी होने की इच्छा रखते हैं, या उन्हें यह दिखाना चाहते हैं कि हम आध्यात्मिकता में या किसी अन्य रुप में आम लोगों से ऊपर हैं - उनसे अधिक शक्तिशाली हैं, तो हम जीवन में कभी भी पूर्ण रुप से शांति और आनंद प्राप्त नहीं कर पाएंगे और न ही निर्वाण की अवस्था को प्राप्त कर सकेंगे।
इसलिए अपने अहंकार को मिटा कर सभी का सम्मान करो।

हर इंसान में कोई न कोई गुण - कोई प्रतिभा होती है। हर इंसान अपने काम में प्रतिभाशाली होता है।
लेकिन कोई भी इंसान हर चीज में अथवा हर काम में परिपूर्ण नहीं होता।
ये ज़रुरी नहीं कि एक इंसान अच्छा डॉक्टर होने के साथ साथ एक अच्छा इंजीनियर भी हो। 
एक मिस्त्री या मेकैनिक अपने काम में चाहे कितना भी निपुण हो - सोने या चांदी के गहने नहीं बना सकता।
संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं जिसे हम हर प्रकार से पूर्ण कह सकें। हर इंसान में किसी प्रतिभा के साथ कोई न कोई कमी अथवा कमज़ोरी भी होती है। मछली पेड़ पर नहीं चढ़ सकती, और जंगल का राजा शेर पानी में जाकर शक्तिहीन हो जाता है।
इसलिए, हर किसी को अपने नीचे रखने और उन पर नियंत्रण रखने की बजाए सभी की प्रतिभा को स्वीकार करें - उनके गुणों की सराहना करें। सभी की भावनाओं का आदर और सम्मान करें।
हर किसी के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा हम अपने लिए चाहते हैं।
अगर हम हर किसी का सम्मान विशुद्ध भावना से करेंगे तो लोग भी हमारी किसी पोजीशन या पदवी के भय से नहीं बल्कि हृदय से हमारा सम्मान करेंगे।
                                                  ' राजन सचदेव '

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It is easy to find fault in others - The real test of wisdom is recognizing our own faults.  Criticizing and condemning others is not hard. ...