Tuesday, August 1, 2017

किसी की बात अब

किसी की बात अब कानों में न जाए तो अच्छा है 
तेरी तालीम ही मुझको समझ आए तो अच्छा है

खुदा जाने यह कैसा दौर है, यह कैसी माया है 
समझ कर लेना है क्या, न समझ आए तो अच्छा है

मेरे मुरशिद पै मेरा दिन-ब-दिन ईमान पुख्ता हो
परखने की मुझे नौबत न फिर आए तो अच्छा है 

तेरी कशती से कूदेंगे, तो लाज़िम है कि  डूबेंगे
जो ग़लती से उतर बैठा है लौट आए तो अच्छा है 

तेरी आवाज़ सुन-सुन के, तो कुछ सीखा नहीं 'रौशन'
तेरी खामोशियों को दिल जो सुन पाए तो अच्छा है

                        'रौशन देहलवी '



1 comment:

  1. Hum Chah kar bhi nahi keh sakte jo,
    AAP ki syahi-e-Kalam kagaz pe utar leti Hai, yeh Acchha hai

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