Friday, August 4, 2017

ग़लतफ़हमी Galat-Fehami

        Happiness Comes from Within

बिकती है न ख़ुशी कहीं - न कहीं ग़म बिकता है
लोग ग़लतफ़हमी में हैं कि कहीं मरहम बिकता है

Bikti hai na khushi kahin - Na kahin gham biktaa hai
Log ghalat-fehami me hain ki kahin marham biktaa hai


                                                           'Writer: Unknown'




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