Friday, December 18, 2015

ये हयात फ़क़त बहरे हादसात ही तो है

ये हयात फ़क़त बहरे हादसात ही तो है 
और मौत ग़मे-ज़ीस्त से निजात ही तो है 

बहते हैं आँख से अगर आँसू तो बहने दे 
बादल से हो या आँख से बरसात ही तो है 

मायूस है क्यों ऐ दिले बे सबर, इस क़दर 
आख़िर गुज़र ही जाएगी ये रात ही तो है

जैसी गुज़र रही है ज़िंदगी - गुज़ार लो 
सोचो ज़रा ये चार दिन की बात ही तो है 

न देख किसी ग़रीब को नफ़रत की आँख से 
वो भी तो आख़िर आदमी की ज़ात ही तो है 

वो है अगर ग़रीब तो उसका है क्या क़सूर 
वो ज़ेरे - बारे - गर्दिशे - हालात ही तो है 

क़ुदरत ने बख़्शी है अगर ' राजन ' ये ज़िंदगी 
तो मौत भी क़ुदरत की इक सौग़ात ही तो है 
                                 ' राजन सचदेव '  
                                         17 दिसंबर 2015  
                          (on the death of an old acquaintance)
                            

हयात :             ज़िंदगी  Life
बहरे-हादसात :  घटनाओं का बहाव - घटनाओं का समंदर  Sea or flow of Incidents
ग़मे-ज़ीस्त :       ज़िंदगी के दुःख Pains and Sufferings of life
निजात :           मुक्ति, छुटकारा Release, Relieved, Discharged, Freedom 
ज़ात :              आस्तित्व Being
सौग़ात :           तोहफ़ा , भेंट  Gift
ज़ेरे-बारे-गर्दिशे-हालात : बुरे हालात के भार के नीचे दबा हुआ - Downtrodden, Defeated, oppressed by - or buried under the  weight of unfavorable circumstances

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