युगों युगों से पर्वतों से नदियाँ बहती आई हैं चट्टानें भी रास्ता उनका न रोक पाई हैं नाचती उछलती और शोर मचाती हुई अपना रास्ता वो ख़ुद-ब-ख़ु...
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