चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं
है नहीं कल का भरोसा भी मगर
सौ बरस का चाहते सामान हैं
दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं
कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
उनकी लाशों से भरे शमशान हैं
जान दे देते हैं औरों के लिए
ऐसे भी दुनिया में कुछ इन्सान हैं
दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल 'राजन' वही इन्सान हैं
' राजन सचदेव '
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