Tuesday, February 28, 2023
कुछ भी नहीं
kuchh bhi nahin - Nothing at all
Monday, February 27, 2023
जब हम दूसरों का पतन देखते हैं
When we see other's downfall
Sunday, February 26, 2023
Chhoti Baat Badan kee - Small things done by Big people
छोटी बात बड़न की - बड़ी बड़ाई होय
ज्यों रहीम हनुमंत को गिरिधर कहै न कोय
अर्थात: एक बड़ा आदमी अगर कोई छोटी सी बात भी कह दे या कोई छोटा सा काम भी कर दे तो लोग उसकी बहुत प्रशंसा करते हैं ।
जैसे कि लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान इतना बड़ा पहाड़ उठा कर ले आए लेकिन उन्हें कोई गिरिधर नहीं कहता।
इस छोटे से दोहे में अब्दुल रहीम ने संसार की इतनी गहरी, लेकिन कड़वी सच्चाई को कितनी सुंदरता और सहजता से कह दिया है कि कोई साधारण व्यक्ति चाहे कितनी अच्छी बात कह दे या कितना ही बड़ा काम क्यों न कर दे, उसका ज़िकर कोई नहीं करता, न ही उसे कोई सम्मान देता है। लेकिन एक बड़े एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति की छोटी सी बात अथवा छोटे से काम को भी बहुत बड़ा माना जाता है और जगह जगह पर प्रेम और श्रद्धा के साथ उसकी चर्चा होने लगती है। अक़्सर देखने में आता है कि लोग 'बात या काम' पर ध्यान देने की जगह सिर्फ़ यह देखते हैं कि ये बात किस ने कही, या वो काम किसने किया।
बात चाहे वही हो लेकिन कहने वाला बदल जाए तो सुनने वालों की प्रतिक्रिया भी बदल जाती है।
सही या ग़लत - लेकिन यही है इस संसार का नियम और चलन।
कड़वा एवं दुःखद - परन्तु सत्य।
Saturday, February 25, 2023
Everything in the world is a traveler - Har shay Musaafir har cheez Raahi
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
Thursday, February 23, 2023
Which is more Precious?
Which is more precious --- fame or wealth?
Which is more valuable -- wealth or health?
Which is more toxic - losing or winning?
What would be better - trying or quitting?
Trying to be someone else - is servitude.
Freedom is being yourself - enjoying solitude.
Dogmas and rituals cause only detention.
Truth is revealed from Self-reflection.
Humility - modesty is the way to elevation.
Introspection - is the door to Salvation.
Be always honest, humble, and pure
And Peace of mind you shall endure
Knowing others is called object knowledge
Knowing the Self - is supreme knowledge
Mortal is all visible - and invisible creation.
Expansion of the Self is Moksha - Liberation.
Jitni adhik aasakti - utnaa hee adhik duhkh
Wednesday, February 22, 2023
जितनी अधिक आसक्ति - उतना ही अधिक दुःख
Knowing what is enough - is Joy
Tuesday, February 21, 2023
Do Objects & People have value?
क्या हर व्यक्ति और वस्तु का अपना मूल्य होता है?
Sunday, February 19, 2023
महा शिव-रात्रि एवं भगवान शिव के चित्र का प्रतीकवाद
भगवान शिव के चित्र में प्रतीकवाद
भगवान शिव को आदि-योगी तथा आदि-गुरु माना जाता है।
दोनों शब्द - योगी और गुरु बहुत हद तक पर्यायवाची हैं।
योगी का अर्थ है मिला हुआ - जिसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया - जिसका परमात्मा से मिलाप हो गया।
और गुरु का अर्थ है जो अज्ञानता के परदे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश प्रदान करे।
एक पूर्ण योगी ही पूर्ण गुरु हो सकता है।
एक गुरु तब तक वास्तविक गुरु नहीं हो सकता जब तक कि वह स्वयं ज्ञानी एवं योगी न हो।
जिसे स्वयं ही आत्मज्ञान न हो - जिसका परमात्मा से मिलाप न हुआ हो - वह दूसरों को परमात्मा का ज्ञान कैसे दे सकता है? जो स्वयं ही परमात्मा से न मिला हो - वह दूसरों को कैसे मिला सकता है?
इसी तरह, एक योगी - जिसने परमात्मा को पा लिया - जिसका मिलाप हो गया - यदि वह अपने ज्ञान और अनुभव से दूसरों की मदद नहीं करता - उन्हें परमात्मा तक पहुँचने में उनकी सहायता नहीं करता तो उसे स्वार्थी ही कहा जाएगा।
इसलिए शिव आदि-योगी भी हैं और आदि-गुरु भी।
भगवान शिव के उपरोक्त चित्र में पहली महत्वपूर्ण बात है उनके आसपास का वातावरण।
वह एक बहुत ही शांत वातावरण में ध्यान मुद्रा में बैठे हैं।
किसी भी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने और जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए परिवेश - अर्थात आस पास का माहौल और वातावरण एक अहम भूमिका निभाते हैं।
इसलिए, एक छात्र अथवा साधक को ज्ञान मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए उपयुक्त परिवेश और शांत वातावरण खोजने या तैयार करने का प्रयास करना चाहिए।
उनकी जटाएं अथवा उलझे हुए बाल उनके सिर के ऊपर एक गाँठ में बंधे हैं।
सिर - बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है - और लहराते बाल बिखरे हुए विचारों और इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गांठ में बंधी जटाओं का अर्थ है नियंत्रित इच्छाएं और विचार - मन और बुद्धि में सामंजस्य - विचार और ज्ञान में सामंजस्य।
पुराणों की कथा के अनुसार, जब गंगा अति वेग से स्वर्ग से नीचे उतरी, तो शिव ने उसे अपनी जटाओं में पकड़ लिया और फिर धीरे-धीरे उसे पृथ्वी पर छोड़ा।
गंगा ज्ञान का प्रतीक है - सत्य के ज्ञान का - जिसे शिव ने ऊपर से - अर्थात दिव्य प्रेरणा से प्राप्त करके पहले अपने शीश में धारण किया। विश्लेषण और अनुभव के बाद फिर धीरे धीरे संसार में वितरण किया।
अर्ध चन्द्र
चाँद सुंदरता एवं शांति का प्रतीक है।
चाँद की रौशनी अर्थात चाँदनी शीतलता प्रदान करती है।
भगवान शिव की जटाओं में एक वर्धमान चंद्र शीतलता, शांति, और धैर्य का प्रतीक है।
तीसरी आँख
मस्तक पर तीसरी आँख - मन की आँख अर्थात ज्ञानचक्षु का प्रतिनिधित्व करती है।
भौतिक आंखों से दिखाई देने वाले संसार से परे वास्तविकता को देखने के लिए हमें मन की आंखें खोलने की ज़रुरत पड़ती है।
क्योंकि सत्य को भौतिक आँखों से नहीं देखा जा सकता
सत्य को जानने और समझने के लिए तो तीसरा नेत्र अर्थात ज्ञान-चक्षु चाहिए।
संसार में बुराई के अस्तित्व से इनकार नहीं किया जा सकता।
चाहे वह दृश्यमान हो या अदृश्य - नियंत्रित या अनियंत्रित - कुछ हद तक, यह हर किसी के दिलो- दिमाग में मौजूद रहती है।
लेकिन शिव ने सर्प को अपने गले में - अर्थात अपने वश में कर लिया है।
वह गले में लिपटे हुए सर्प के दंश से अछूते और अप्रभावित हैं।
नीला कंठ
एक प्रसिद्ध पुराणिक प्रतीकात्मक कथा है:
सागर-मंथन के दौरान अमृत और विष - दोनों निकले।
अर्थात अस्तित्व के महासागर का विश्लेषण करने पर सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों ही प्रकट रुप से दिखाई दीं।
हर कोई अमृत ही चाहता था -
प्रकट रुप में कोई भी विष नहीं चाहता।
लेकिन शिव जानते थे कि नकारात्मकता का विष संसार में हर जगह - हमारे चारों ओर मौजूद है - और इससे पूरी तरह बचना संभव नहीं है।
इसलिए शिव ने इसे निगल लिया - लेकिन उन्होंने इसे अपने गले से नीचे - अपने पेट में नहीं जाने दिया। अर्थात किसी भी तरह से विष को अपने ऊपर प्रभावित नहीं होने दिया।
नील कंठ अथवा नीले गले से पता चलता है कि बेशक बुराई और नकारात्मकता उनके पास आती है - उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करती है - लेकिन वे इसे अपने गले से नीचे नहीं जाने देते, और इसलिए वह नकारात्मकता और बुराई से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होते।
शरीर पर भस्म
भस्म अथवा राख से ढका हुआ शरीर इस बात का प्रतीक है कि शरीर मिट्टी से बना है -
शरीर नश्वर है - परिवर्तनशील और नाशवान है - स्थायी नहीं है।
त्रिशूल
जब शिव शांत और ध्यान मुद्रा में होते हैं तो उनका त्रिशूल उनके पास धरती में गड़ा हुआ रहता है।
त्रिशूल के तीन शूल तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
त्रिशूल उनके हाथ में नहीं - बल्कि उन से दूर रखा हुआ है।
अर्थात वह त्रैगुणातीत हैं - तीनों गुणों से रहित।
त्रिशूल उनके हाथ में तो नहीं है - लेकिन सुलभ है।
ज़रुरत पड़ने पर वह कभी-कभी इसे धारण कर के बुराई को नष्ट करने के लिए तांडव मुद्रा में इसका उपयोग कर सकते हैं।
डमरु
प्राचीन समय में भारत के गाँवों में कोई घोषणा करने के लिए डमरु का उपयोग किया जाता था।
डमरु सूचना और निमंत्रण का प्रतीक है।
शिव के पास डमरु भी ज्ञान का संदेश और निमंत्रण का सूचक है।
सम्पत्ति के रुप में उनके सामने केवल एक कमंडल है
जो कि संतोष का प्रतीक है।
और इस बात का संदेश देता है कि योगी एवं गुरु की ज़रुरतें बहुत कम होती हैं -
वह फिजूल और बहुत अधिक संग्रह नहीं करते।
उनके मन में कोई लालच नहीं होता।
वह केवल निष्काम भाव से संसार का भला करने का यत्न करते हैं
और कभी भी लालसा और लोभ वश हो कर अपने और अपने परिवार के लिए धन संचय और संपत्ति का निर्माण करने का प्रयास नहीं करते।
शिव - अर्थात अदि गुरु अपनी व्यक्तिगत जीवन शैली के साथ संतुष्टि एवं धैर्य का उदाहरण देते हुए आत्मसंतोष का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस प्रतीकवाद को समझने से हमें एवं अन्य साधकों को सत्य एवं अध्यात्म के सही मार्ग को समझने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखने में मदद मिल सकती है।
महा शिव-रात्रि की शुभकामनाएं
" राजन सचदेव "
Saturday, February 18, 2023
Happy Maha Shiv-Ratri and Symbolism in Lord Shiva's image
About fifteen years ago, on the occasion of Maha Shiv-Ratri in Nashville, I explained the symbolism of Lord Shiva's image according to my understanding. Recently, some people asked me to repeat that. So, I am posting it here for the benefit of the readers.
Both the terms - Yogi and Guru are synonyms in some ways.
A Guru cannot be a real Guru if he is not an Enlightened Yogi himself.
The first thing to look at is the surroundings.
He is sitting in a meditative pose in a very calm, quiet, and peaceful environment.
To gain knowledge or to accomplish anything in life, surroundings play an important role.
The head is a symbol of the brain - intellect, and mind - and the wavy hair represents the scattered thoughts and desires.
According to the story of Puranas, when Ganga came down from heaven, Shiva caught it in his hair and slowly released it on the earth.
Ganga is a symbol of Gyana, the knowledge of Truth - which Shiva received from above - with divine inspiration.
He then examined, analyzed, and grasped in his head and then shared it with the world.
Moonlight is cool, calm, and peaceful.
A crescent moon in Lord Shiva's hair is a symbol of tranquillity, peace, and patience.
The serpent represents evil - it is poisonous, and no one can deny its existence.
Whether it's visible or invisible - controlled or uncontrolled - to some degree, it exists in everyone's mind.
But Shiva has restrained and tamed the serpent around his neck.
There is a famous Puraanik symbolic story:
During the Sagar-Manthan - the churning of the ocean of existence - both nectar and poison - positivity and negativity popped up.
No one wanted the poison.
Nevertheless, Shiva swallowed it - knowing well that the poison of negativity exists all around us - that it may not be possible to avoid it entirely.
However, he did not let it go down his throat - into his belly to affect him in any way.
His body covered with ash symbolizes that the body is made from dust and will end up in ashes.
The body is not changeless and permanent - Atma or consciousness is.
When Shiva is in a calm and meditative posture - his Trishul is dug in the ground on the side.
Three pangs of the Trishul represent three Gunas.
The Trishul is not in his hand, or on his body - it is kept away - on the side. Meaning, he is Traigunaateet - free from all three Gunas.
Though sometimes he may hold it if needed and use it in the Tandava mode - to destroy the evil.
Friday, February 17, 2023
आत्म विकास के लिए कॉकरोच सिद्धांत
वह डर के मारे चिल्लाने लगी।
वह घबराए हुए चेहरे और कांपती आवाज के साथ चीखते हुए उछलने लगी और दोनों हाथ हवा में लहराते हुए कॉकरोच से छुटकारा पाने की कोशिश करने लगी।
आखिरकार किसी तरह वह महिला उसे अपने कपड़ों से झटकने में सफल हो गई
लेकिन वह काक्रोच ग्रुप में बैठी हुई एक अन्य महिला के ऊपर जा गिरा।
अब वो महिला वह डर के मारे चीखने और चिल्लाने लगी।
जब वेटर ने यह देखा तो वह उनके बचाव के लिए दौड़ा।
इस भगदड़ और हड़बड़ी के दौरान अब वो काक्रोच वेटर के ऊपर जा गिरा।
लेकिन वेटर सीधा खड़ा रहा और बिना हिलेजुले अपनी कमीज़ पर बैठे कॉकरोच को बड़े ध्यान से देखता रहा।
फिर उसने बड़ी सावधानी से उसे अपनी उंगलियों से पकड़ा और रेस्टोरेंट के बाहर फेंक दिया।
थोड़ी दूर ही एक दुसरे टेबल पर कॉफ़ी पीते हुए जब मैंने इस दृश्य को देखा तो मन में कुछ विचार उठने लगे -- मैं सोचने लगा आखिर कि इस सब नाटकीय घटना और हड़बड़ी के व्यवहार के लिए कौन जिम्मेदार था?
क्या ये सब उछल कूद और भागदौड़ उस कॉकरोच ने करवाई?
अगर ऐसा था तो वो वेटर डिस्टर्ब क्यों नहीं हुआ?
उसने तो बिना किसी घबराहट और हड़बड़ी के उस मौके को बड़ी अच्छी तरह और शांति से संभाल लिया।
अगर ध्यान से देखा जाए तो इस सारे उपद्रव के लिए वह कॉकरोच जिम्मेदार नहीं था।
बेशक बात तो वहीं से शुरु हुई लेकिन महिलाओं की परेशानी का सबसे बड़ा कारण उनकी अपनी अक्षमता थी जो उस परिस्थिति को सही ढंग से संभाल नहीं पाईं - जबकि वेटर ने धैर्य के साथ बड़ी शांति से उस परिस्थिति को संभाल लिया।
तभी अचानक मुझे एहसास हुआ कि दरअसल मेरे बॉस या मेरी पत्नी का चिल्लाना और हर समय शिकायत करना मुझे परेशान नहीं करता - बल्कि मेरी परेशानी का कारण तो शायद मेरी अपनी अक्षमता है कि मैं उनके चिल्लाने पर अपनी प्रतिक्रिया को रोक नहीं पाता।
सड़क पर ट्रैफिक जाम हमें उतना परेशान नहीं करता जितना ट्रैफिक जाम को देख कर अपनी व्याकुलता और क्रोध को रोक पाने में हमारी असमर्थता हमें परेशान करती है।
समस्या से ज्यादा समस्या के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है जो हमारे जीवन में बेचैनी और अशांति पैदा करती है।
उन महिलाओं ने अचानक प्रतिक्रिया की - जबकि वेटर ने शांति से उसका हल ढूंडा।
प्रतिक्रिया तो अचानक ही - बिना सोचे समझे ही हो जाती है और आम तौर पर उस का असर अच्छा नहीं होता।
अच्छी तरह से सोची-समझी हुई प्रतिक्रियाएं ही लाभदायक होती हैं।
किसी भी स्थिति को हाथ से निकलने से बचाने के लिए - रिश्तों में दरार पड़ने से बचाने के लिए हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए और क्रोध, चिंता, तनाव या जल्दबाजी में कोई भी निर्णय लेने से बचना चाहिए।
What is Moksha?
According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...
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Kaise bataoon main tumhe Mere liye tum kaun ho Kaise bataoon main tumhe Tum dhadkanon ka geet ho Jeevan ka tum sangeet ho Tum zindagi...
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मध्यकालीन युग के भारत के महान संत कवियों में से एक थे कवि रहीम सैन - जिनकी विचारधारा आज भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनके समय में थी। कव...
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बाख़ुदा -अब तो मुझे कोई तमन्ना ही नहीं फिर ये क्या बात है कि दिल कहीं लगता ही नहीं सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आए आँसू दिल का आलम तो अ...