Friday, April 14, 2023

फ़क़त बातों से ही अब दिल को बहलाना तो मुश्किल है

फ़क़त बातों से ही अब दिल को बहलाना तो मुश्किल है 
नज़र के सामने जो है   -  वो झुठलाना  तो मुश्किल है 

बहुत पहले से ही जो मरहले हम छोड़ आए हैं 
उन्हीं रस्तों पे फिर से लौट के जाना तो मुश्किल है  

ये  दुनिया है  यहां  हर रंग के  इन्सान  बसते  हैं   
सभी की सोच हो यकसां - ये हो पाना तो मुश्किल है 

किसी को चाहिए दुनिया किसी को रब से मतलब है 
सभी को एक ही सफ़ में बिठा पाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं मंज़िलें सब की - हैं सब के मुख़्तलिफ़ रस्ते 
सभी को एक ज़ेर-ए -बाम पे लाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं ख़्वाहिशें सब की अलग हैं शौक़ भी सब के   
सभी का एक से रंग में ही रंग जाना तो मुश्किल है 

जुदा हैं मुश्किलें सबकी - जुदा हैं सब के रंज-ओ-ग़म
सो इक नुस्ख़े से हर मसले को सुलझाना तो मुश्किल है 
 
कभी सुख है कभी दुःख है -निराशा है कभी आशा
रहे इकसार ही जीवन  - ये हो पाना तो मुश्किल है 

तजुर्बे से जो सीखा है - सिखाया जा भी सकता है 
जिसे ख़ुद ही नहीं समझे वो समझाना तो मुश्किल है 

ये दंगे और झगड़ों की फ़सादों की ही दुनिया है 
यहां इस दौर में ईमान का लाना तो मुश्किल है 

अलग हैं रंग और शक़्लें - अलग हैं बोलियां बेशक 
मगर हैं तो सभी इन्सां ये झुठलाना तो मुश्किल है 

ज़माने भर के क़र्ज़े  तो चुकाए जा भी सकते हैं 
मगर माँ बाप के क़र्ज़े को लौटाना तो मुश्किल है 

किसी को प्यार मिलता है मोहब्बत में किसी को ग़म 
हो सब का एक ही जैसा ये अफ़साना तो मुश्किल है 

किसी की जीत होती है किसी की मात होती है 
सभी के ही गले में  हार पहनाना तो मुश्किल है 

करो उनका शुकर 'राजन ' जो मिलते हैं मोहब्बत से
सभी के दिल में अपना नाम लिखवाना तो मुश्किल है 
                               " राजन सचदेव "


फ़क़त                = सिर्फ़ , केवल, महज़ 
मरहले                = पड़ाव, रास्ते, मंज़िल, परिस्थिति, अवस्था, प्रकरण, परिच्छेद Stages, Phases इत्यादि
यकसां                = एक जैसा, समान, समरुप, अनुरुप 
एक ही सफ़ में    =  एक पंक्ति में,  साथ साथ 
मुख़्तलिफ़          = अलग अलग 
बाम                    = छत 
एक ज़ेर-ए -बाम =  एक ही छत के नीचे 

17 comments:

  1. Bahut khoob… Thanks for sharing

    ReplyDelete
  2. Bahut hi अच्छी रचना जी

    ReplyDelete
  3. V v v nice matma ji

    ReplyDelete
  4. It’s so very true. Your writings, as always, touch my heart.

    ReplyDelete
  5. Har पक्तियां ek se बडकर एक

    ReplyDelete
  6. Very true and clear 🙏

    ReplyDelete
  7. Excellent. Bahut hee sunder rachna ji. 🙏

    ReplyDelete
  8. बहुत बहुत खूब 👌🙏👏👏👏👏❤️

    ReplyDelete
  9. very nice poem ji🎊👍

    ReplyDelete
  10. ज़बरदस्त -- वाह वाह

    ReplyDelete
  11. Great message 🙏

    ReplyDelete
  12. Bahut hee sunder rachna hai Excellent 👌👌👌👌👍👍

    ReplyDelete
  13. Very nice thoughts 👌 👍 👏

    ReplyDelete
  14. Dnj Bhaisahib ji … great composition by you.
    Sooooooooo good to read .. really appreciate sharing it. Feel extremely lucky to have you in my life.🙏🏻🙏🏻🤲🤲🤲🤲❤️

    ReplyDelete

Itnay Betaab kyon hain - Why so much restlessness?

 Itnay betaab - itnay beqaraar kyon hain  Log z aroorat say zyaada hoshyaar  kyon hain  Moonh pay to sabhi dost hain lekin Peeth peechhay d...