Thursday, April 13, 2023

जीवन के दो कमजोर पड़ाव

जीवन में दो पड़ाव ऐसे आते हैं जब व्यक्ति को बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है।

जिस तरह एक पेड़ अपने जीवन के दो चरणों में काफी कमजोर होता है।
पहला, जब यह बहुत छोटा हो  - और दूसरा, जब यह बहुत लंबा हो जाए। 
इन दोनों हालतों में ख़तरा बना ही रहता है। 
क्योंकि एक पनपते हुए छोटे से पौधे को आसानी से उखाड़ा जा सकता है।
और जब कोई पेड़ बहुत लंबा हो जाए तो उसके गिरने की संभावना बनी रहती है। 

इसी तरह आध्यात्मिकता में भी दो पड़ाव ऐसे हैं जहां हमें बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
शुरु में - बहुत से लोगों को आध्यात्मिकता का मार्ग कठिन और नीरस लगता है - और वो कुछ दिनों में ही इसे छोड़ देते हैं ।
कुछ लोग दूसरों को देख कर या उनकी बातों से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं और भ्रमित हो कर यह मार्ग छोड़ देते हैं।

और दूसरा -  जब हमारा आत्मविश्वास ज़रुरत से ज़्यादा बढ़ जाता है और हमें लगता है कि हम तो सब कुछ जानते हैं और अहंकारी हो जाते हैं।
दोनों अवस्थाओं में गिरने अथवा भटकने का खतरा बढ़ जाता है। 
दोनों ही स्थितियों  में हम सही रास्ते से भटक सकते हैं और इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल हो सकते हैं। 
                             ' राजन सचदेव '

No comments:

Post a Comment

Itnay Betaab kyon hain - Why so much restlessness?

 Itnay betaab - itnay beqaraar kyon hain  Log z aroorat say zyaada hoshyaar  kyon hain  Moonh pay to sabhi dost hain lekin Peeth peechhay d...